मानसरोवर उपायुक्त की बढ़ी मुश्किलें: बड़े संस्थानों पर कार्रवाई न करने के सवालों से घेरे में

AYUSH ANTIMA
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जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): नगर निगम की अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं क्योंकि स्थानीय निवासियों का आरोप है कि नगर निगम ने केवल उन्हीं लोगों के सामने से अतिक्रमण हटाया है, जिन्होंने शिकायत की थी, जबकि बड़े संस्थानों द्वारा किए गए अतिक्रमण पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले में स्थानीय निवासियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच बनाई और न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने मांग की है कि मुख्यमंत्री इस मामले में उचित कार्रवाई करें और अतिक्रमण हटाने के संबंध में न्याय संगत निर्णय लें। मानसरोवर जोन उपायुक्त लक्ष्मीकांत कटारा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि उस दिन कार्रवाई उनके नेतृत्व में हुई थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या बड़े संस्थानों की तरफ से कोई लिफाफा मिला या फिर उन पर कोई दबाव है। अब इसका जवाब तो उनको मुख्यमंत्री कार्यालय को देना होगा। स्थानीय निवासियों ने 22 जुलाई 2024 को एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जलदाय विभाग, आकाशीप बीएड कॉलेज, सरदार पटेल स्कूल, लिबर्टी अस्पताल, आईआईआरएम कॉलेज और आकाशदीप स्कूल ने सड़क पर बाउंड्री वॉल और रैंप बनाकर अतिक्रमण किया है। नगर निगम ने 23 मई 2025 को अग्रवाल फार्म के टैगोर पथ पर अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई की, जिसे स्थानीय निवासियों ने सराहनीय बताया है लेकिन उनका आरोप है कि बड़े संस्थानों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पूर्व में भी 25 जनवरी को मीरा मार्ग के सेक्टर 9 शॉपिंग सेंटर की दुकानों के आगे की रेलिंग को तोड़ा गया लेकिन सेक्टर 10 शॉपिंग सेंटर की दुकानों को देखने की हिम्मत भी नहीं की गई। वो अलग बात है, जो रसूखदार थे, उन्होंने फिर से रेलिंग लगाकर डीसी महोदय को ठेंगा दिखाया है और डीसी महोदय निगम से 10 कदम की दूरी पर होते हुये भी कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे है। पूर्व में ठेलो को हटाने की असफल कार्यवाही की गई, चालान काटे गये किन्तु सेक्टर 10 शॉपिंग सेंटर में गाडी में लगा हुआ पिज्जा हट हटाना उनके बूते के बाहर की बात है। खैर, अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं और क्या बड़े संस्थानों पर भी अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब तक बड़े संस्थानों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक अतिक्रमण की समस्या का समाधान नहीं हो सकता।

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