अपराधों की मूल जड़ में है चौबीस घण्टे शराब का सहज मिलना

AYUSH ANTIMA
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अलवर (राजीव श्रीवास्तव): शहर के निकटवर्ती सिलीसेढ़ के इर्दगिर्द गांवों में कथित जहरीली शराब से छह व्यक्तियों की मौत हो चुकी है लेकिन अलवर शहर में अवैध रूप से चौबीस घण्टे बिकने वाली हर ब्रांड की शराब और सड़कों के नजदीक ओपन बार के खिलाफ आबकारी विभाग और पुलिस मेहरबान है।दोनों ही विभागों को जानकारी है कि शहर में चौबीस घण्टे शराब बिकती है लेकिन गाहे बगाहे कार्रवाई के नाम पर कोरी औपचारिकता पूरी कर लेते है।चौबीस घण्टे अवैध तरीके से शराब और अन्य नशे की सामग्री बिकने के कारण सबसे अधिक  महिलाएं प्रताड़ित होती है। शहर के हर गली-मोहल्ले में महिलाएं शराबी पति से अपमानित होती नजर आ जायेगी। अपमानित ही नहीं बेवजह पति की पिटाई भी सहती है। लोकलाज की वजह से विवाहिताएं प्रताड़ित होने के बावजूद खामोश रहती है। अन्य अपराध भी अमूमन शराब के नशे में ही होते है लेकिन शासन प्रशासन इस गंभीर समस्या को जानकर भी अनजान बना हुआ है। गहलोत सरकार के दौरान शराब के कारण विधवा हो चुकी और अपनी संतान खो चुकी महिलाओं ने गुलाबी टीम बनाकर शराबबंदी के लिए लंबे समय तक आंदोलन किया था। उस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने गुलाबी टीम की पीड़ा को गंभीरता से लिया था। दरअसल शराब की लत भी चौबीस घण्टे शराब सहज मिलने के कारण ही लगती है। अलवर शहर में हर शराब ठेके के बाहर शराब पीने के लिए ठंडा पानी, नमकीन और सोडा के साथ तमाम उस सामग्री की व्यवस्था की गई है, जिसकी एक शराबी को आवश्यकता होती है। जहाँ खुलेआम शराब पीकर शराबी राहगीर महिलाओं पर अश्लील फब्तियां कसते है।इतना ही नहीं राहगीरों को रोक कर वेवजह झगड़े पर उतारू हो जाते है। अनेक ठेकों के सामने से निकलने पर अब सज्जन स्त्री पुरुषों ने निकलना ही बन्द कर दिया है। चौबीस घण्टे नशे में मदहोश शराबी घर पहुंचते ही पत्नी और बच्चों पर बेवजह टूट पड़ते है। महिलाएं चाहती है कि प्रदेश में शराबबंदी होनी चाहिए।यदि यह सम्भव नहीं है तो शराब बिकने की एक समय सीमा अवश्य होनी चाहिए, जिससे घरेलू हिंसा से कुछ हद तक राहत मिल सके। बहरहाल आमजन की इच्छा है कि आबकारी विभाग और पुलिस वास्तविक संयुक्त अभियान चलाकर ठेकों पर दिन रात अवैध रूप से बिकने वाली शराब पर पाबंदी लगाकर आमजन को राहत प्रदान अवश्य करें।
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