सरकार बदली लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर निती में बदलाव नहीं

AYUSH ANTIMA
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राजस्थान का बहुचर्चित पेपर लीक एसआई भर्ती घोटाले को लेकर इस परीक्षा को रद्द करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट जनहित याचिका की सुनवाई पर भाजपा सरकार तारीख पर तारीख ले रही है। 26 मई को जस्टिस समीर जैन ने जानना चाहा कि जब पुलिस मुख्यालय, जांच एजेंसी व मंत्रिमंडलीय उप समिति ने इस परीक्षा को रद्द करने की सिफारिश की है, उसके बावजूद सरकार इस परीक्षा को रद्द क्यों नहीं कर रही है। विदित हो नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मुद्दे को लेकर जयपुर में एक बड़ी सभा कर सरकार को घेरने का काम किया व सरकार के केबिनेट मंत्री भी इस परीक्षा को रद्द करने की मांग मुख्यमंत्री भजन लाल से कर चुके हैं। 26 मई को लगातार तीसरा अवसर रहा जब सरकार हाईकोर्ट मे जबाब प्रस्तुत नहीं किया। हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने पहले कहा था कि यदि सरकार कोई निर्णय नहीं लेती है तो अदालत अपना निर्णय सुना देगी। पहले भारत पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई को लेकर दो बार तारीख ली गई तत्पश्चात 26 मई को सरकार की तरफ से कहा गया कि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा नीति आयोग की बैठक में भाग लेने दिल्ली चले गये, इसलिए इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं हो सका। अब सरकार का यह कहना कि पहले यह अनुमान था कि 859 अभ्यार्थीयो में से आधे से ज्यादा ने अनुचित साधनों का उपयोग किया है लेकिन अब पता चला कि केवल 55 ने ही फर्जीवाड़ा किया, जिनको बर्खास्त कर दिया गया है। सरकार के इस रवैये से ऐसा लगता है कि भजन लाल शर्मा सरकार भी कांग्रेस सरकार की तरह यह परीक्षा रद्द करने के मूड में नहीं है। अशोक गहलोत सरकार के शासन में ही इस भर्ती में फर्जीवाड़े का पता लग चुका था लेकिन अशोक गहलोत ने भी इस भर्ती परीक्षा को रद्द नहीं किया। अब देखा जाए तो इसको लेकर एक खेल हो रहा है। कांग्रेस के शासन में भाजपा व भाजपा के शासन में कांग्रेस के नेता इस परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। अब अदालत ने इस मामले पर एक जुलाई की तारीख दी है। भजन लाल शर्मा सरकार ने कांग्रेस सरकार पर पेपर लीक के आरोपों की झड़ी लगा दी थी व चुनाव प्रचार के दौरान यह मुद्दा छाया रहा कि युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है लेकिन भजन लाल शर्मा सरकार के इस रवैये से स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है कि सरकार परीक्षा रद्द करने के मूड में नहीं, जो इस बात का संकेत है कि सरकार जरूर बदली है लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर निती में बदलाव नहीं आया है।

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