कारवां लूटने के पीछे निजी स्वार्थ व पैसे की भूख रहती है, इसलिए सवाल यह नही हो सकता कि कारवां क्यों लूटा ? सवाल यह मुख्य है कि कारवां किसने लूटा। यह बात पिलानी विधानसभा को यमुना जल का पानी दिलवाने को लेकर फिट बैठती है। वोटों की फसल काटने को लेकर कांग्रेस के एक कद्दावर नेता ने अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम क्षणो तक खूब दोहन किया और उसी परिपाटी का अनुसरण भाजपा कर रही है और स्थानीय नेता इस बात का ढोल पीटकर प्रचार कर रहे जैसे पानी आ ही गया लेकिन निश्चित रूप से पानी आ गया, पीने के लिए धरातल पर नहीं बल्कि पिलानी विधानसभा के लोगो की आंखों में जरूर आ गया। भीषण गर्मी का आगाज हो चुका है और आगे भी होगा लेकिन पिलानी विधानसभा का यमुना जल का पानी कागजों में ही सिमट कर रह जायेगा। कागजों में ट्यूबवेलो की खुदाई हो चुकी है, जिसको लेकर कांग्रेस विधायक व भाजपा के प्रत्याशी ने सोशल मिडिया पर खूब वाहवाही लूटी लेकिन रोजाना पानी को लेकर हो रहे धरना प्रदर्शन इस बात के गवाह है कि पिलानी के जनमानस की पीड़ा को समझने वाला कोई भी नहीं है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि पानी के टैंकर की कीमत भी 500 रूपये को पार कर चुकी है, एक आम आदमी इस खर्चे को कैसे वहन करेगा, यह सोचनीय विषय है। आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने सदैव जनहित के मुद्दों को लेकर पत्रकारिता की है और विगत कांग्रेस सरकार और वर्तमान डबल इंजन सरकार के संज्ञान में लाने का काम किया है कि पिलानी विधानसभा को पीने का पानी के लिए केवल और केवल कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का पानी ही है, जो पिलानी से मात्र 15 किमी की दूरी पर है। यह देश का दुर्भाग्य है कि हम विश्व गुरू बनने के आउटर सिग्नल पर खड़े होने का दावा कर रहे हैं और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर लोग आंदोलन कर रहे हैं। यह कैसी विडम्बना है कि जिले के नेता पानी को लेकर राजनीति करते नजर आ रहे हैं लेकिन इस समस्या के निदान के लिए हम खुद भी जिम्मेदार है। विदित हो पिछले चुनावों में पिलानी विधानसभा के कुछ गांवों ने वोटों के इस मुद्दे को लेकर वोटों का बहिष्कार किया। यदि पूरी विधानसभा का आवाम इस मुद्दे पर उनके साथ खड़ा होता और मांग करता कि पानी नहीं तो मतदान नहीं, निश्चित रूप से इस समस्या का निदान हो गया होता लेकिन सवाल वही है कि कारवां क्यों लूटा, उसको लेकर तो धन की चाहत में लूटा गया पर कारवां किसने लूटा, यह महत्वपूर्ण है। इसको लेकर यही कहा जा सकता है कि देश के दोनों राजनीतिक दल कांग्रेस व भाजपा एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं ।
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