जिस दिन एक भी वृद्धाश्रम में किसी की माँ नहीं होगी तभी होगा असली मातृ दिवस

AYUSH ANTIMA
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कल मातृ दिवस के अवसर पर कोई ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं बचा था, जहां पर किसी ने अपनी माँ की या अपनी माँ के साथ फोटो ना लगाई हो। वो प्लेटफॉर्म फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप्प, ट्विटर हो या अन्य कोई और ऑनलाइन जगह। कल कोई भी जगह खाली नहीं थी, हर जगह माँ ही माँ थी। मैं पूछना चाहता हूं माँ के उन सभी लालों से कि क्या वास्तव में आप सब अपनी माँ से इतना ही प्यार और सम्मान करते हैं, जितना आपने कल दिखावा किया या कल मातृ दिवस जैसे दिन पर ही ये दिखावा करना जरुरी था। आखिर क्यों एक ही दिन के लिए ये दिखावा किया गया। क्या ये दिखावा पूरे वर्ष हम नहीं कर सकते। क्या ये सम्मान हम जीवनपर्यन्त अपनी जीवन दायिनी को नहीं दे सकते। अगर हम सब अपनी माँ का वास्तव में इतना ही सम्मान करते हैं तो इतने सारे वृद्धाश्रम में किसकी माँ हैं, जो इतनी मजबूर, लाचार, दुखी और बेबस होते हुये भी अपने इन कर्महीन बच्चों को बद्दुआ भी नहीं दे पाती। आखिर क्यों हम अपने कुछ देर के आराम और स्वार्थ कि खातिर इस जीवन दायिनी माँ को भूल जाते हैं और उन्हें वृद्धाश्रम का रास्ता दिखा देते हैं। अगर सच में आप मातृ दिवस मनाना ही चाहते हैं और सच में अपनी माँ को कुछ देना चाहते हैं तो ले आइये वृद्धाश्रम से अपनी उन माँ को, जिन्हें आप भूलवश और जल्दबाजी में वहां छोड़ आये थे और आज शपथ लो कि किसी भी शहर में कोई वृद्धाश्रम ना बनने पाए। ये ही सही मायनों में हमारे लिए मातृ दिवस होगा।

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