कोटपूतली (रमेश बंसल मुन्ना): कस्टोडियन भूमि के निराकरण की मांग एक बार फिर जोर पकडऩे लगी है। कस्टोडियन भूमि का मतलब है अंडर कस्टडी ऑफ गवर्मेंट, इसके मालिकाना अधिकार आज भी सरकार के पास है। आजादी के बाद से ही स्थानीय किसान यहाँ काबिज है, लेकिन इसके मालिकाना अधिकार स्थानीय किसानों को नहीं मिल पाये हैं। यह जमीन आजादी से पहले मुस्लिम समुदाय की थी और आजादी के बाद से स्थानीय किसान इस पर खेती कर रहे हैं। उक्त समस्या को लेकर शनिवार को ग्राम बसई के किसानों के प्रतिनिधि मण्डल ने विराटनगर विधायक कुलदीप धनकड़ से शिष्टाचार भेंटकर उन्हें अपनी पीड़ा से अवगत करवाया। विधायक धनकड़ ने मुख्यमंत्री से बात कर किसानों की समस्या का समाधान करवाये जाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से किसानों के साथ हैं और उनकी समस्या का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस दौरान दाताराम जाट, मनोज चौधरी, पूर्व उपसरपंच सुल्तान, यादराम सूबेदार, बाबूलाल गढ़वाल आदि मौजूद रहे।
*वर्षो से पीडित है हजारों किसान*
दशकों से ये किसान अपनी जमीनों के अधिकार के लिये संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने हजारों बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाये, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। उनके सब्र का बांध टूटने लगा है और वे अपने अधिकारों के लिये लडऩे को मजबूर हैं।
*बसई में हुआ था राज्यव्यापी धरना*
कुछ वर्षो पूर्व ग्राम बसई में किसानों ने कस्टोडियन भूमि के लिये आंदोलन किया था। किसान बचाओ आंदोलन के नाम से इस आंदोलन की गूँज विधानसभा से लेकर संसद तक पहुंँची। महीने भर के धरने के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार को झूकना पड़ा और सरकार ने किसानों की बात मानते हुये इस समस्या के समाधान के लिये आदेश प्रदान किये। जिसके बाद कस्टोडियन भूमि कैम्प आयोजित किये गये। जिसमेंं कुछ किसानों को राहत प्रदान की गई। हालांकि कई किसानों का काम तो हुआ, लेकिन कई का काम अभी भी पेंडिंग है और वे अपने अधिकारों से वंचित हैं।
*अधिकारी लगवा रहे चक्कर*
किसान बचाओ आंदोलन के संयोजक मनोज चौधरी ने बताया की किसानों के सब्र का बांध अब टूटता नजर आ रहा है तथा स्थानीय अधिकारों की नजर अंदाजी और उनकी उदासीनता के चलते उनमें भारी आक्रोश है। किसानों का कहना है कि स्थानीय अधिकारी किसानों की समस्या से मुंह फेर रहे हैं तथा हजारों बार उनके दफ्तर के चक्कर लगाने के बाद भी वह इस गंभीर समस्या को संज्ञान में नहीं ला रहे है।
*कार्यवाही की मांग*
पूर्व पंसस दाताराम जाट ने कहा की अब समय आ गया है कि सरकार इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले और किसानों को उनके मालिकाना अधिकार प्रदान करें। हमें उम्मीद है कि सरकार इस मामले में आवश्यक कार्यवाही करेगी और किसानों को उनका हक दिलायेगी।