झुंझुनूं (राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला): सहभागी राजपूत परिवार ने ठाकुर शार्दूल सिंह शेखावत छात्रावास में बैठक की। इंजीनियर महावीर सिंह शेखावत झाझड़ ने बताया कि जिस झुंझा जाट को झुंझुंनू का संस्थापक बताया जा रहा है, वो एक काल्पनिक चरित्र है। आज इसके नाम से जो चौराहे का उद्घाटन विधायक राजेन्द्र भाम्बू ने किया है, वो राजस्थान के गौरवमयी इतिहास पर अतिक्रमण है। अतिक्रमणवादी सोच आज तक इस काल्पनिक चरित्र का जन्म भी तय नही कर पा रही है। कभी उसको छठी, कभी पन्द्रहवी तो कभी अठारहवी शताब्दी का बताया जा रहा है। किसी राज्य का संस्थापक होने के लिए सबसे प्रथम शर्त है कि वो व्यक्ति उस जगह का शासक होना चाहिए। वो स्वयं अपने काल्पनिक उपन्यास में लिख रहे हैं कि वो कभी भी शासक नही था। आजादी के समय से लेकर मौर्य वंश तक झुंझुंनू के सभी शासकों का इतिहास में विवरण दर्ज है। अतिक्रमणवादी हाईकोर्ट में कभी भी इसको यहां का शासक या संस्थापक साबित नही कर पाएंगे। इस इतिहास के अतिक्रमण के खिलाफ 22 जून को झुंझुंनू में बहुत बड़ी जनाक्रोश रैली की जाएगी। इस अन्याय के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपना पक्ष बहुत मजबूती से रखा जाएगा। सबूत के अभाव में कोर्ट के आदेश से झुंझा जाट की मूर्ति एवं संस्थापक की पट्टिका ढ़की जाएगी। महारैली में शेखावाटी के झुंझुनू, सीकर, चुरू, नागौर, अजमेर, बीकानेर, हनुमानगढ़, जयपुर से कायमखानी चौहान राजपूत, राजपूत, रावणा राजपूत, चारण राजपूत, राजपुरोहित समाज सहित दलित, वास्तविक पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग, मुस्लिम वर्ग मिलकर इस इतिहास के अतिक्रमण के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे। यह ध्यान रखना होगा कि आज दोनों प्रमुख राजनैतिक दल अतिक्रमणवादी सोच के सामने घुटने टेक चुके हैं। इसलिए शीघ्र ही नया राजनैतिक दल गठित करके अपना सहभागी सुराज बनाना पड़ेगा। बैठक में मुनीम खां, जफर खां, यूसुफ खां, बजरंग लाल नायक, महावीर सैनी, सिराजुद्दीन जोया, अनवार खां नुंआ, ईमरान खां, धनेश सिंह, सरवर खां, मनवर खां, मुराद खां, रघुवीर सिंह सिंसिया, किशन सिंह दोरासर, राजेश सिंह, अब्दुल खां, इन्तजार, ताज खां, इकबाल खां, प्रकाश सिंह, महेन्द्र सिंह, जितेन्द्र सिंह, सद्दीक खां थानेदार, भागीरथ सिंह, लियाकत खां, बबलू खां, अरबाज खां, तौफिक खां, इरफान खां, नरेन्द्र सिंह, किशोर सिंह, सम्पत सिंह, अर्जुन सिंह मौजूद रहे।
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