अलवर (मनीष अरोड़ा): प्रभु श्रीराम के परम भक्त और अंजनीसुत वीर शिरोमणि हनुमान जी महाराज के जन्मोत्सव जिले में बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाया गया। अलवर शहर में प्रत्येक हनुमान मंदिर में धार्मिक आयोजनो का दौर जारी रहा, इसके पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसादी पाई। डंडे वाले बाबा हनुमान मंदिर, श्री रामायणी हनुमान मंदिर सहित शहर के सभी मन्दिरों में सुबह से ही पवनसुत हनुमान जी की पूजा अर्चना प्रारंभ हो गई थी।
श्रीरामचरितमानस में ऐसा उल्लेख है कि इस दिन श्री हनुमान जी महाराज शिव के रौद्र अवतार के रूप में प्रकट हुए थे, जिसको वर्तमान में हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। अलवर सहित पूरे जिले में सभी मंदिरों में हनुमान जी महाराज का विशेष श्रृंगार किया गया और भजन संध्या का आयोजन किया गया। धार्मिक आयोजनों में मशहूर भजन गायको ने भक्ति रस की गंगा बहाई। शहर के स्थानीय केड़लगंज से हनुमान जी की बगीची अकबरपुर के लिए ध्वज यात्रा निकाली गई, जिसको केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और वन राज्य मंत्री संजय शर्मा ने झंडी दिखाकर रवाना किया। ध्वजा रैली के दौरान जय श्रीराम, जय हनुमान के नारों से वातावरण गुंजायमान हो उठा। चारो ओर श्रीराम की ध्वजा पताका लहराती दिखाई पड़ रही थी। कार्यक्रम के आयोजक राजकुमार गोयल ने बताया कि प्रतिवर्ष हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में यह ध्वज यात्रा निकाली जाती है। अग्रवाल समाज के अध्यक्ष अमित गोयल का कहना था कि हनुमान जन्मोत्सव के पर्व को बड़े ही धूमधाम से और श्रद्धा के साथ मनाया जाता हैं। कार्यक्रमों के बाद भंडारे का आयोजन भी गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओ ने प्रसादी पाई। उल्लेखनीय है कि शास्त्रों में लिखित है वर्तमान में भी इस कलयुग में श्री हनुमान जी महाराज सशरीर धरती पर मौजूद है, जिनकी प्रभु श्रीराम के परम भक्त के रूप में पूजा-अर्चना की जाती है। अलवर शहर के भूरासिद्ध हनुमान मंदिर, आडा-पाड़ा हनुमान मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में हनुमान जी की मनमोहक झांकी सजाई गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर दर्शन लाभ लिए। वर्तमान परिपेक्ष्य में अगर धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो वास्तव में इसमें कोई दो राय नहीं है कि श्री हनुमान जी महाराज ने अनेकों शक्तियां होते हुए भी कभी स्वयं पर अहंकार नहीं किया और जब भी अपना परिचय दिया प्रभु श्रीराम के सेवक के रूप में दिया। वर्तमान में पवनसुत केसरी नंदन बहुत बड़ा संदेश देते हैं कि मनुष्य जीवन में कितना भी शक्तिशाली हो जाए, उसे कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए और सभी प्रकार का श्रेय सदैव ईश्वर को देना चाहिए।