राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे झालावाड़ के दौरे पर थी। पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे आमजन की समस्याओं को लेकर राजे के तीखे तेवर थे। उन्होंने नौकरशाही पर प्रहार करते हुए कहा कि क्या प्यास आपको ही लगती है, आमजन को पानी की जरूरत नहीं है। पानी सिर्फ कागजों में ही मिल रहा है, लोगों के होंठों तक नहीं पहुंच रहा है। आप सो रहे हैं लोग रो रहे हैं। जब अप्रेल माह में यह हालात हैं तो आगामी गर्मी के महीनों मे क्या होगा। जल जीवन मिशन मे प्रधानमंत्री ने राजस्थान को 42 हजार करोड़ रुपये दिए, उसमे झालावाड़ के हिस्से का पाई पाई का हिसाब देना होगा कि उस हिस्से की राशि का क्या किया। राजे के इस बयान की गूंज दिल्ली तक सुनाई दी व केन्द्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने राजस्थान सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। अब यदि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बयान के मध्य नजर देखें तो जो दावे पीने के पानी को लेकर किए जा रहे हैं, वे केवल कागजों में ही सिमट कर रह गये है। जब पूर्व मुख्यमंत्री के क्षेत्र में यह हालात हैं तो झुन्झुनू जिले के लिए बात करना बेमानी होगा। झुन्झुनू जिले के विधायक और नेता केवल मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के बयानों को फोटो के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट करके ही खुद को गौरवान्वित महसूस करके इसी को विकास मान बैठे हैं। सूरजगढ़ विधायक श्रवण कुमार व पिलानी विधायक पितराम सिंह काला विधानसभा पटल पर पीने के पानी की समस्या जोर शोर से रख चुके हैं लेकिन चूकी यह कांग्रेस के विधायक हैं तो भाजपा को इसमें राजनीति लगती है। भाजपा के स्थानीय नेता केवल स्थानांतरण की राजनीति तक ही सिमटकर रह गये है। जब उनके मन के माफिक स्थानांतरण नहीं होते तो मंत्री प्रेम कहकर सरकार व मंत्री को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। जिस तरह से कांग्रेस यमुना जल की लोलीपॉप जनता को देती रही है, उसी परिपाटी का अनुसरण भाजपा के स्थानीय नेता कर रहे है। पिलानी विधानसभा खासकर पिलानी में पानी की भयंकर किल्लत है व आगामी गर्मी के मौसम में यह अति विकराल रूप ले लेगी लेकिन किसी भी नेता ने इस मानवीय मुद्दे को लेकर वसुंधरा राजे जैसी संवेदनशीलता नहीं दिखाई है। जन प्रतिनिधि वहीं होता है, जो अपने क्षेत्र के आवाम की आवाज बनकर सरकार को जगाने का काम करें, उसी का अनुसरण राजे ने किया है, जिसका नतीजा केन्द्र सरकार ने संज्ञान लेकर कारवाई शुरु कर दी है ।
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