पुष्कर/अजमेर: पुष्कर के प्रेम प्रकाश आश्रम में ब्रह्मा श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ आयोजन के तृतीय दिवस शनिवार को व्यास पीठ से कथामृत बरसाते हुए कथावाचक श्रीमन्माध्वगौडेश्वर वैष्णवाचार्य पुण्डरीक गोस्वामी ने श्रोताओं को कहा कि भक्ति का मार्ग कीर्तन, कल्याण की कामना भक्ति है। उन्होंने कहा कि भक्ति पर बाहर से प्रभाव नहीं डाला जा सकता है बल्कि भक्ति भीतर से होती है तो नवजीवन होता है।
उन्होंने भक्ति का श्रोताओं को उदाहरण देते हुए बताया कि इस्कॉन मंदिर के प्रभु पाद महाराज अमेरिका में मृदंग बजाकर हरे कृष्ण हरे कृष्ण करते विदेशियों ने करते देखा तो उनमें भी भक्ति जागृत हो गई।
ब्रह्मा द्वारा कृष्ण स्तुति का चतुर्थ श्लोक का उच्चारण करते हुए कहा वैष्णव दर्शन मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है।हरि नाम जीव का उद्धार कर देता है। अपनी मति को ठाकुर जी के श्री चरणों में विश्वास के साथ ब्याह दो, उस दिन इस मन की चंचलता वही समाप्त हो जाएगी।
*भगति हीन नर सोहइ कैसा।*
*लवण बिना बहु बिंजन जैसा।।*
ज्ञान भी भक्ति को पुष्ट करने के लिए होना चाहिए। जीवन में सब साधन करे किंतु ठाकुर जी से प्रीति नहीं की तो सब रूखा है।
गोस्वामीजी ने नवधा भक्ति के बारे में बताते हुए कहा श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन-ये नवधा भक्ति हैं।
कथा में ध्रुव एवं प्रहलाद की कथा का वर्णन किया। वैष्णवाचार्य ने बताया जो सरल है वही संत है। हमेशा संत की सहजता का कारण बने। कथा आयोजक नरेंद्र वेंकटेश ने बताया रविवार को चतुर्थ दिवस रामनवमी पर श्रीरामजन्म धूमधाम से मनाया जाएगा। पांडाल महिलाओं व पुरुषों से खचाखच भरा है। आयोजकों की टीम में पंडित रविशंकर शर्मा, राजीव लोचन शर्मा, ललित सदनानी, कन्हैया लाल खत्री आदि सँभाल रहे हैं। कथा श्रवण हेतु संत भी आ रहे हैं। बालमुकन्द आश्रम के महन्त सनातनाचार्य ने भी कथा का श्रवण कर लाभ प्राप्त किया। कथा का लाइव प्रसारण यूट्यूब के माध्यम से होने से वैष्णवजन यूरोप, अमेरिका सहित कई देशों को सुना जा रहा है ।