कोटपूतली (रमेश बंसल मुन्ना): जिला कलक्टर कल्पना अग्रवाल ने सभी जिलेवासियों को लू और तापघात के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि ग्रीष्म लहर से स्वास्थ्य पर पडऩे वाले दुष्प्रभावों में सामान्यत: पानी की कमी, गर्मी से होने वाली ऐंठन तथा थकावट और लू लगना आदि शामिल हैं। सीएमएचओ डॉ.आशीष सिंह शेखावत ने बताया की लक्षण दिखने या दस्त होने पर सावधानी बरतें, लू लगने पर ओआरएस घोल पीयें और शिशु को ओआरएस घोल निर्धारित अंतराल में पिलाते रहें। दस्त रोकथाम के लिए जिंक दवा एवं ओआरएस पैकेट सभी राजकीय स्वास्थ्य केन्द्रों/आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नि:शुल्क उपलब्ध हैं। इसके लिए सभी चिकित्सा संस्थानों पर बैड आरक्षित किए गए है।
*क्या है लू के लक्षण व बचाव के उपाय*
सीएमएचओ डॉ.आशीष सिंह शेखावत ने बताया की लू तापघात रोग के लक्षण सिरदर्द, बुखार, उल्टी, अत्यधिक पसीना एवं बेहोशी आना, कमजोरी महसूस होना, शरीर में ऐंठन, नब्ज असामान्य होना है। अधिक गर्मी से गर्मी से होने वाली ऐंठन (हीट क्रेंप्स) भी होते है। जिसमें कम ताप के हल्के बुखार के साथ सूजन और बेहोशी, गर्मी से होने वाली थकान (हीट एग्जॉस्शन) जिसमें थकान, कमजोरी, चक्कर, सिरदर्द, मितली, उल्टियाँ, मांसपेशियों में खिचाव और पसीना आने से लोग प्रभावित हो सकते है। लू लगना या हीट स्ट्रोक यह एक संभावित प्राणघातक स्थिति है। इससे बचने के लिए घर से बाहर निकलने से पहले पानी अवश्य पिएं, सूती ढ़ीले एवं आरामदायक कपड़े पहने, धूप में निकलते समय सिर पर टोपी, कपड़ा या छाते का उपयोग करें। छाछ, ओआरएस का घोल या घर में बने पेय पदार्थ जैसे लस्सी, नींबू पानी, कैरी की छाछ आदि का सेवन करें, भरपेट ताजा भोजन करके ही घर से निकलें। उन्होंने बताया की गर्मी में तरल पदार्थ ज्यादा लेते रहें। जैसे नींबू पानी, नारियल पानी, नमक का पानी जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो और डिहाइड्रेशन का शिकार ना हो। उन्होंने यह भी बताया की इस हेतु कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक का उपयोग ना करें वह शरीर के तापमान को बढ़ा देती है। उन्होंने कहा की ओआरएस हमेशा साथ रखें और हीट स्ट्रोक या लू लगने के लक्षण दिखने पर उसका सेवन करें और तुरंत अस्पताल में जाकर जांच करवायें।
*लू लगने या तापघात होने पर यह करें*
सीएमएचओ डॉ.शेखावत ने बताया की इसके लिए सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लें, धुप में ना जाएँ ठंडी जगह ही रहे, बॉडी में गीला तौलिया लपेटें, ज्यादा से ज्यादा पानी, ज्यूस, छाछ या लस्सी पीयें। लू के लक्षण दिखने पर बीमार व्यक्ति को गर्मी से दूर ठंडी जगह रखा जायें, उससे ढ़ीले और हल्के कपड़े पहनाये जायें, त्वचा पर ठण्डे और गीले कपड़े का इस्तेमाल करें, लगातार थोड़ा थोड़ा ठंडा पानी पीते रहे, पीडि़त के पानी न पीने, उल्टियां करने और बेहोश होने पर चिकित्सक की मदद लें। उन्होंने कहा की स्वास्थ्य सेवा सम्बंधित अधिक जानकारी के लिये टोल फ्री नम्बर 104/108 पर कॉल करें।
*बच्चे को गर्मी-लू लगने पर उसकी हरकतों को पहचानना है जरूरी*
सीएमएचओ ने बताया कि यदि बच्चे की शारीरिक गतिविधियां दैनिक से असामान्य हों यानी बच्चा सुस्त हो रहा हो, बच्चे में चिड़चिड़ापन हो, त्वचा सामान्य से अधिक रूखी सख्त हो रही हो, बच्चा स्तनपान/दूध पीने से मना करे, पेशाब नहीं या कम मात्रा में कर रहा हो, ऐसे कोई भी लक्षण प्रतीत हों तो शिशु के लिये उपचार-सावधानी की जरूरत होती है। ऐसे में उचित देखभाल करें और नजदीकी चिकित्सक से जांच करायें। बच्चों में हाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की पूर्ति जरूरी है, गर्मियों में शरीर से पसीना निकलने की वजह से शरीर को तरल पदार्थों की जरूरत ज्यादा पड़ती है। इसके लिये शिशु को ढ़ीले कपड़े पहनायें, ताजा आहार खिलायें, घमौरियों से बचाव करें और शिशु को छावदार स्थान पर रखें।