सूत्रों की मानें तो भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा देश भर में 32 लाख मुस्लिम परिवारों को मोदी किट के नाम से ईद के त्यौहार पर ईदी का वितरण करेगा। इसको लेकर भाजपा के 32 हजार कार्यकर्ता लगाये जायेंगे। एक कार्यकर्ता करीब सौ परिवारों से सम्पर्क करेगा। इसके वितरण को लेकर सूची मदरसों व मस्जिदो के माध्यम से तैयार करने का निर्णय लिया गया है। मोदी किट के वितरण को लेकर इसके पीछे की भावना को लेकर कहा गया है कि इससे सामाजिक समरसता को बढावा मिलेगा। भाजपा मानती है कि मुस्लिम समाज को देश की मुख्यधारा से अलग नहीं रखा जा सकता। इसके पीछे देश के 25 करोड़ मुस्लिम समुदाय को साधने की कोशिश है। अब यदि इस योजना का पोस्टमार्टम करें तो भाजपा तत्कालीन प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह को कोसती रही है कि उन्होंने कहा था कि इस देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यक समुदाय का है, इसके साथ ही यह भी प्रचारित करती रही है कि देश में योजनाएं मुस्लिम समुदाय को देखकर ही बनाई जाती रही है। ईद तो मोदी सरकार के पहले दो कार्यकाल में भी आई थी, इसी कार्यकाल मे मोदी सरकार का मुस्लिम प्रेम कुछ ज्यादा ही उमड़ रहा है, इसका मूल कारण खंडित जनादेश का मिलना है और इसी जनादेश ने मोदी सरकार को मोदी किट बांटने की प्रेरणा दी है।
भाजपा द्वारा पोषित हिन्दू संगठन, जो अखंड भारत के साथ भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का दंभ भरते रहते हैं, उनको सोचना होगा कि हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली भी आया था। क्या सामाजिक समरसता का ख्याल उस समय नहीं आया कि हिन्दू परिवारों को भी मोदी किट का वितरण किया जाए। जिस तरह से ऐतिहासिक तथ्यों के साथ खिलवाड़ हो रहा है, उसको लेकर यह सोचना होगा कि आखिर सता के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। देश के किसी भी राज्य में जब वोट आते हैं, सामाजिक समरसता काफूर हो जाती है और सनातन धर्म खतरे में आ जाता है। इन राजनीतिक दलों को सोचना होगा कि जब देश मुगलों और अंग्रेजों के राज में भी खतरे में नहीं था तो आज तो देश की बागडोर सनातन धर्म के प्रबल समर्थक के हाथों मे है। सनातन धर्म न तो कभी खतरे में था, न वर्तमान में है और न ही भविष्य में रहेगा क्योंकि इस धर्म की जड़ें बहुत गहरी हैं। यदि संकट में है तो इन नेताओं की कुर्सी है, जो धर्म की आड़ में वोटों की फसल काट रहे हैं ।