शेखावाटी संतो, धार्मिक स्थलों की धरा रही है। सालासर, झुंझुनूं का राणी सती मंदिर, खाटू में श्याम मंदिर, लोहार्गल धाम, मां शाकंभरी का दरबार व संतो की तपोभूमि बऊ धाम, लक्ष्मणगढ आश्रम, चंचल नाथ जी का टीला, शंकर दास जी का टीला, बावलियां बाबा परमहंस गणेश नारायण की समाधि आदि अनेक संतो की तपोस्थली है शेखावाटी।
खाटू नगरी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर बाबा श्याम का दरबार, जहां फाल्गुन मास में लक्खी मेले का आयोजन होता है। देश के हर कोने से पैदल यात्री खाटू नरेश के दरबार में पहुचते है। खाटू नगरी में बहुत सी धर्मशाला व होटल है, जहां खाटू आने वाले व पदयात्री विश्राम करते हैं लेकिन फाल्गुन मेले में इन स्थानों में बहुत से पदयात्रियों को जगह नहीं मिल पाती है। इसको लेकर देश के भामाशाह व समाजसेवी संगठन उन पदयात्रियों के रहने व खाने पीने व मेडिकल कैंप की व्यवस्था निशुल्क करते हैं लेकिन दुर्भाग्य कि मेला प्रशासन उन संगठनों से इस मानव सेवा के एवज में हजारो रूपये लेते हैं। नि:संदेह जो निशुल्क व्यवस्था करते हैं, उनके मन की भावनायें केवल नर सेवा नारायण सेवा को इंगित करती है लेकिन उनकी भावनाओं को दरकिनार कर उनसे हजारों रूपये वसूलना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। वे भामाशाह व स्वयंसेवी संगठन वहां व्यापार करने के लिए यह व्यवस्था नहीं करते बल्कि मानव सेवा के लिए करते हैं, जिससे किसी पदयात्री को बाबा के दरबार में परेशानी न हो। जब गाड़ी, कार वालो के लिए प्रशासन निशुल्क पार्किंग की व्यवस्था करता है तो इन संगठनों से पैसा क्यों लिया जाता है, जो पदयात्रा करने वाले श्याम भक्तो को निशुल्क आवास व खाने व मैडिकल सुविधाओं की व्यवस्था करते हैं। विदित हो बाबा श्याम की कृपा से करोड़ों रूपये चढ़ावा व सरकार को रेवेन्यू आता है लेकिन पलसाना से आलोदा होते हुए सड़क जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। इस रोड पर इतने खड्डे बने हुए हैं कि गाड़ी चलाना तो दूर पैदल यात्री की चाल भी कुछ अजीब हो जाती है। प्रशासन व श्याम मंदिर कमेटी को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। फाल्गुन मेले में लाखों की संख्या में श्याम भक्त बाबा के दरबार में माथा टेकते हैं लेकिन उस समय वीआईपी दर्शन करवाने वाले हर नुक्कड़ पर मिल जायेंगे, जो वसूली करते नजर आ जायेंगे। वैसे प्रशासन व कमेटी की तरफ से कहा गया है कि इस बार किसी को वीआईपी दर्शन नहीं होंगे लेकिन इसके बावजूद यह कल्चर परवान पर है। बाबा के दरबार में एक गरीब भक्त की भी उतनी ही अहमियत है, जो एक करोड़पति की। अतः इस वीआईपी कल्चर को बंद करने की जरूरत है क्योंकि बाबा की नजरों मे कोई भी वीआईपी नहीं है। इसके साथ ही इस बार लक्खी मेले में प्रशासन की सख्ती देखी गई व इसको लेकर स्थानीय लोगो ने घरों को जेल बनाने के आरोप भी लगाए हैं।