लव जिहाद व धर्मांतरण को लेकर राजस्थान विधानसभा में विधेयक आ चुका है। इसमें जबरन धर्मांतरण पर तीन साल से दस साल तक के कारावास का प्रावधान है। स्वेच्छा से धर्मान्तरण करने वाले व्यक्ति को साठ दिन पहले जिला कलेक्टर को इसकी सूचना देनी होगी। विधेयक में लालच व प्रलोभन की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है, जिसमें नगद, धन, किसी धार्मिक संस्था द्वारा संचालित स्कूल मे नौकरी या निशुल्क शिक्षा और बेहतर जीवन शैली शामिल हैं। जबरन धर्मांतरण के मामले मे कोई भी पिडित व्यक्ति, उसके माता पिता, भाई बहिन या नजदीकी रिश्तेदार एफआईआर दर्ज करवा सकता है। इसके साथ ही धर्मान्तरण कराने वाले या धर्म परिवर्तन के लिए समारोह आयोजित करने वाले व्यक्ति को एक निर्धारित फार्म के जरिये कलेक्टर को सूचना देनी होगी। धर्मांतरण गलत बयानी, लालच या जबरजस्ती आदि से नहीं हुआ तो इसको साबित करने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की होगी, जिसने कथित रूप से धर्म परिवर्तन किया है। विदित हो राजस्थान में धर्म परिवर्तन विधेयक पहली बार वसुंधरा सरकार लेकर आई थी। 2008 में वसुंधरा सरकार ने धर्मान्तरण बिल विधानसभा में पेश किया था लेकिन यह कानून की शक्ल नहीं ले सका था। यदि अब पिलानी में धर्मान्तरण के मुद्दे को लेकर हिन्दू संगठनों द्वारा जो आक्रोश निकल कर आ रहा है, उसके संदर्भ में क्या विधेयक में उन प्रावधानों का पालन किया जो राजस्थान विधानसभा मे आ चुका है। किसी भी मुद्दे को लेकर कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक होता है। विदित हो राजस्थान में डबल इंजन सरकार है और भाजपा के नेताओं का अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन करना कहीं न कहीं सरकार को कटघरे में खड़ा करने के साथ ही हास्यास्पद भी है। सूत्रों की मानें तो कुछ असमाजिक तत्व जो आक्रोश रैली का हिस्सा थे, मिडियाकर्मियो के साथ बदसलूकी के समाचार देखने को मिल रहे हैं। मिडिया कर्मियों से असमाजिक तत्वों द्वारा हाथापाई की गई लेकिन बीच बचाव से किसी अप्रिय घटना नहीं घटी। आक्रोश रैली के आयोजकों को इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संज्ञान लेने की जरूरत है। पत्रकारिता हमारे लोकतंत्र का एक मजबूत स्तम्भ है और यदि पत्रकारिता से बदसलूकी का व्यवहार किया जाता है तो निश्चित रूप से यह हमारे लोकतंत्र पर हमला है और ऐसे कृत्य की भर्त्सना होनी चाहिए। आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) पत्रकारिता पर हमले की कड़ी निन्दा करता है व इसके साथ ही प्रशासन से मांग करता है कि कवरेज को लेकर पत्रकारों कि समुचित सुरक्षा की जाए। इसके साथ ही यदि जबरन धर्मांतरण का मामला है तो प्रशासन से मांग है कि इसमें लिप्त लोगों की तुरंत गिरफ्तारी के साथ कानूनी कार्यवाही की जाए ।
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