सनातन धर्म में गाय का विशेष महत्व रहा है। लोग मंदिरों में भगवान के दर्शन करने मंदिर से मंदिर जाते हैं। यदि गाय की सच्चे मन से सेवा की जाये तो किसी भी मंदिर में जाने की आवश्यकता नहीं क्योंकि गाय मे सभी देवताओं का वास होता है लेकिन आज जो गौवंश के हालात देखते हैं तो सरकारी अनुदान व भामाशाहों के आर्थिक सहयोग से जिले में संचालित गौशालाओं की बात न करें तो संचालकों की अकर्मण्यता व हठधर्मिता के चलते गौवंश असहाय व लाचार, सड़कों पर कूड़ा करकट व लठ्ठ खाने को मजबूर हैं। अभी हाल ही मे राजस्थान सरकार ने गौशालाओं के लिए अनुदान में वृध्दि को लेकर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से गौशाला संचालक उनका आभार व अभिनंदन व्यक्त करने के लिए संतो के सानिध्य में मिले थे। भजन लाल शर्मा ने बहुत ही किताबी बातें कही लेकिन जो गौवंश की पीडा है, उसको लेकर एक शब्द भी नहीं बोला। गाय को राज्य माता का दर्जा देने का आश्वासन जरूर दिया लेकिन क्या राज्य माता का दर्जा इन बेसहारा गोवंश को आसियाना दिला पाएगा। सरकार को इस बेसहारा गौवंश को लेकर यह आदेश पारित करें कि इस लाचार, असहाय व बेसहारा गौवंश को गौशालाओं में छुड़वाने की नैतिक जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होगी। पंचायत, नगर पालिका व नगर परिषद इस गौवंश को गौशालाओं मे भिजवाने का काम करेंगे। यदि कोई गौशाला संचालक इन गौवंश में भेद कर लेने से मना कर देता है तो उसका सरकारी अनुदान तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया जाये। उस गौशाला को जो उदारमना भामाशाह आर्थिक सहयोग करते हैं, उनको भी इस गौवंश की दुर्दशा का संज्ञान लेना होगा कि यह गौशाला के संचालक गौवंश की आड़ में अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति में लगे हुए हैं। इस असहाय गौवंश के चलते किसानों की खेती बर्बाद हो रही है, इसके साथ ही इन पर कुल्हाड़ी से हमले की खबरें देखने को मिलती है। कहीं न कही इस असहाय गौवंश की वृध्दि मे हमारा भी योगदान है। जब तक गाय दूध देती है, उसको घर में रखते हैं, उसके बाद उसको लठ्ठ खाने के लिए सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। इन असहाय गौवंश के चलते गृह नगर पिलानी की बात करूं तो बहुत से लोग इनकी चपेट मे आने से अपाहिज होने के साथ जान भी गंवा चुके हैं। जिले में गौवंश की आड़ में जो निजी स्वार्थ का गोरखधंधा चल रहा है, उसको लेकर सरकार को गंभीरता से लेने की जरूरत है। जो गौशालाएं गौ रक्षक दल के सदस्यों द्वारा मुक्त गौवंश को कचरा कहकर लेने से मना कर देते हैं, उनसे उनकी गौशाला संचालन की मानसिकता का पता चल जाता है। सूत्रों की मानें तो गौशाला संचालन की अनुमति देते समय एक बांड भरकर दिया जाता है कि गौ रक्षा दल द्वारा तस्करों से मुक्त गौवंश को यदि गौशाला में लाया जाता है तो उसको मना नहीं किया जायेगा।
आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने इस सनातन धर्म की धरोहर को बचाने की मुहीम में गौवंश की दुर्दशा को लेकर सरकार के संज्ञान में लाने का प्रयास समय समय पर किया है और उसी को लेकर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा जो खुद ब्रजभूमि से आते हैं, जहां गौवंश को लेकर कितनी संवेदनशीलता लोगों में है, उससे अनभिज्ञ शायद नहीं होंगे तो इसी को लेकर पूरे राज्य में असहाय गौवंश संरक्षण को लेकर अपनी इच्छा शक्ति दिखाते हुए इस दिशा में सार्थक प्रयास करें।