भाजपा सरकार आते ही पुरानी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का नाम परिवर्तित कर खूब नाम कमाया। विश्वविद्यालय में कुलपति को अब कुलगुरु कहा जायेगा। पिछली कांग्रेस सरकार में पेपर लीक को लेकर बहुत हंगामा हुआ था व नाथी के बाड़े ने खूब सुर्खियां बटोरी थी लेकिन इसका भी भाजपा सरकार ने नामकरण दूसरा कर दिया, अब नाथी के बाड़े को पोपा बाई के राज के नाम से जाना जायेगा। सूत्रों की मानें तो राजस्थान बोर्ड की परीक्षाएं चल रही है। उनमें 12वी कक्षा के लिए बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विषय का पिछले साल वाला पेपर ही बच्चों को थमा दिया गया, जो नाथी के बाड़े का नामकरण पोपा माई का राज करने में मील का पत्थर साबित होगा। आनन फानन में इस विषय की परीक्षाएं रद्द कर दी गई लेकिन इस पोपा बाई के राज में उन करीब 30 हजार विधार्थियों व अभिभावको को मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा, उसका जिम्मेदार आखिर कौन है क्योंकि पोपा बाई के राज में सजा जुर्म करने वाले को नहीं दी जाती थी, जिस पर पोपा बाई मेहरबान होती थी, सजा का वही हकदार होता था। इसको लेकर शिक्षा बोर्ड के सचिव ने उसी पोपा बाई के राज को सार्थक करते हुए इस प्रकरण को लेकर पेपर सेन्टर को जिम्मेदार ठहराया है। विदित हो प्रश्न पत्र बनाने में बोर्ड की अहम भूमिका होती है और विभिन्न प्रक्रियाओं की पालना करते हुए प्रश्न पत्र प्रिंट होने जाता है। इसमें प्रश्न पत्र बनाने वाले विशेषज्ञो से चार प्रश्न पत्रों के सैट बनवाए जाते हैं तत्पश्चात एक विशेषज्ञों की टीम यह निर्धारित करती है कि कौनसा प्रश्न पत्र परीक्षा के लिए जायेगा। इसको लेकर बोर्ड सचिव का एक सैंटर को जिम्मेदार ठहराना पोपा बाई के राज को सार्थक कर रहा है।
पिछली कांग्रेस सरकार में पेपर लीक मामलों को लेकर प्रदेश के यशस्वी शिक्षा मंत्री मदन दिलावर जो Tenth व दसवीं कक्षा को अलग अलग समझते हैं, बहुत बार गोविंद सिंह डोटासरा को जेल भेजने की बात करते रहते हैं लेकिन आज तक इस विषय में कार्यवाही होती नहीं देखी गई, जबकि डोटासरा विधानसभा में उनके खिलाफ जांच करवाने की चुनौती देते नजर आते हैं। अब उनके कार्यकाल में शिक्षा बोर्ड के इतिहास में जो ऐतिहासिक कारनामा करके दिखाया है, उसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है नाथी का बाड़ा या पोपा बाई का राज ?