भाजपा नेताओं की आपसी खींचतान ने सूरजगढ़ का विकास किया बाधित

AYUSH ANTIMA
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वैसे तो झुंझुनूं भाजपा में गुटबाजी सर्व विदित है। नेताओ के अपने वर्चस्व की लडाई आम आदमी के संकट का सबब बन चुका है। जब बात जिले के विकास के मुद्दों की आती है तो एक लाईन सुनने को मिलती है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर है। शायद उनका कथन सही हो लेकिन जब खुद का घर सही न हो और पूरे देश का भार कंधों पर उठाना एक मारवाड़ी कहावत को चरितार्थ करता है कि घर का पूत कुवारा डोले पाड़ोसी का फेरा। 
जब से भाजपा सरकार का गठन राजस्थान में हुआ है, जिले का हर नेता खुद को विधायक समझने लगा और उसी का आलम है कि जिले में केवल स्थानांतरण की राजनीति हावी हो गई। इसमें उन नेताओं का निजी स्वार्थ है या क्षेत्र के विकास की चिन्ता है, यह सूरजगढ विधानसभा को लेकर देखने को मिल सकता है। यदि सूरजगढ़ नगर पालिका की बात करें तो इस गुटबाजी से पिछले एक साल में नौ अधिशासी अधिकारी लगाए जा चुके हैं। स्थानीय नेताओं की खीचतान ने इस पद को फुटबाल बनाकर छोड़ दिया है। वर्तमान ईओ की बात करें तो एक ज्वलंत प्रश्न है कि इनका स्थानांतरण किसकी डिजायर पर किया गया। यदि उक्त अधिकारी नकारा था तो इनका स्थानांतरण सूरजगढ़ क्यों करवाया गया ? कुछ ही महीने बाद क्या नेताओं का मोहभंग वर्तमान ईओ से हो गया या दूसरे गुट ने अपनी अहमियत दिखाते हुए वर्तमान ईओ का स्थानांतरण करवा दिया जबकि उनके स्थानांतरण आदेश के खिलाफ सूत्रों की मानें तो उन्होंने स्टे ले रखा है। हालांकि स्थानीय नेताओं की इसी गुटबाजी का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा था कि यहां से कांग्रेस ने विजय हासिल की थी। वैसे यह गुटबाजी की अदावत कोई नई नहीं है। मैं थोड़ा इतिहास में ले जाना चाहता हूं कि सूरजगढ़ उपचुनाव में दिगंबर सिंह चुनावी मैदान में थे, वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री थी, उन्होंने अपनी पूरी ताकत झौंक देने के बावजूद इस गुटबाजी का चक्रव्यूह नहीं भेद पाई और जिले की एक कद्दावर नेत्री दिगंबर सिंह की हार का कारण बनी। यही गुटबाजी आज भी चरम पर है। पूर्व विधायक व पूर्व सांसद के बीच छतीश के आकडे का नतीजा आज सूरजगढ़ की जनता भुगत रही है। विदित हो सूरजगढ़ में भाजपा का बोर्ड है व भाजपा के वरिष्ठ नेता व कोषाध्यक्ष सेवाराम गुप्ता की धर्मपत्नी पुष्पा गुप्ता सूरजगढ नगर पालिका के अध्यक्ष पद की शोभा बढ़ा रही है। इसके विपरीत स्थानीय भाजपा नेता, पूर्व विधायक व पूर्व सांसद ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, जैसे यहां बोर्ड कांग्रेस का है। यह केवल सूरजगढ़ विधानसभा का मामला ही नहीं कमोबेश पूरे झुंझुनूं में भाजपा की यही स्थिति बनी हुई है। इसको लेकर संगठन व सरकार को लगाम लगाने की जरूरत है अन्यथा इसका खामियाजा आने वाले समय में भुगतना होगा।

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