खेड़ली उपजिला अस्पताल में नसबंदी शिविर लगाने वाली एनजीओ की मनमानी

AYUSH ANTIMA
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*खेड़ली उपजिला अस्पताल में नसबंदी शिविर लगाने वाली एनजीओ की मनमानी*

*चिकित्सालय द्वारा आवंटित वा


अलवर: खेडली उप जिला अस्पताल में महिला नसबंदी शिविर में भारी अनियमितता सामने आई है। खेडली उप जिला अस्पताल में महिला वार्ड में 16 बैड की संख्या है लेकिन ताज्जुब तो देखिए कि नसबंदी शिविर लगाने के दौरान सरकारी अस्पताल में जिस एनजीओ ने ठेका लिया है, उसने सामान्य वार्ड में भी अपने टारगेट को पूरा करने के लिए कब्जा बनाया हुआ है। यहां एक एनजीओ तथा राजस्थान सरकार द्वारा संयुक्त रूप से नसबंदी शिविर लगाए जाते हैं। मगर सारे नियमों को पूरी तरह ताक पर रख दिया जाता है। एनजीओ द्वारा मात्र 10 बैड पर ही 29 महिलाओं के रजिस्ट्रेशन कर दिये। मरीजों के परिजन अव्यवस्थाओ को लेकर नाराज़ तथा दुखी दिखाई दिए। आपरेशन के बाद अर्द्ध बेहोशी की हालत में पैशेंट्स को पैदल परिजन ले जाते दिखाई दिए।
 एनजीओ को मानवता तथा संवेदनशीलता से कोई सरोकार दिखाई नहीं दिया। केवल नसबंदी अधिक से अधिक करने का टारगेट पूरा करने की जल्दी के चलते नियमों की धज्जियाँ उड़ती दिखाई दी। जब मीडिया ने अधिकारियों से बात करनी चाही तो मिडिया के सवालों से एनज़ीओ के अधिकारी बचते नज़र आए। स्थानीय चिकित्सालय प्रशासन को भी अंधेरे में रखा। एनजीओ के अधिकारी कर्मचारी का भी दिल नहीं पसीजा। सारी मानवता को भुला दिया गया। बहुत से परिजन अपने छोटे छोटे मासूम बच्चों को भी साथ लाए थे, वह भी परेशान दिखाई दिये। वैसे खेड़ली उपजिला अस्पताल घोषित हो चुका है लेकिन अभी बैड तथा अन्य सुविधाएं 30 बैड के रैफरल अस्पताल की ही मौजूद है।
बड़ा सवाल यह है कि जब अस्पताल में पर्याप्त बैड नहीं थे तो इतने ऑपरेशन क्यों कर दिए। नियम कायदे ताक पर क्यों रखे गये। 
मिडिया के सवालों पर बचते भागते नज़र आए एनजीओ कर्मचारी। आपरेशन के बाद सुरक्षित महिलाओं को छोड़ने की जिम्मेदारी है लेकिन एंबुलेंस चालकों के भरोसे छोड़कर टारगेट पूरा करके हो लिए रवाना। गौरतलब है कि स्थानीय चिकित्सालय प्रभारी से भी जर्नल वार्ड में आपरेशन के बाद महिलाओं को लिटाने की अनुमति नहीं ली गई।
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