(आयुष अंतिमा नेटवर्क)
कल मुझे इंटरव्यू के लिए जल्दी पहुंचना था, वह जगह हमारे घर से कुछ दूर थी। मैं सुबह जल्दी उठकर तैयार होकर जैसे ही निकलने लगी तो देखा स्कूटी के पहिए में हवा कम थी। यह सोच कर कि रास्ते में हवा भरवा लूंगी, मैं निकल गई, हवा भरवाने रुकी तो सोचा इंटरव्यू देने की जगह दूर है तो मैं शॉर्ट-कट रास्ते से निकल जाती हूं। रास्ते में थोड़ी कच्ची सड़क भी थी, सुबह स्कूल का समय भी था, एक बारह-तेरह साल की लड़की अपना स्कूल बैग लिए जा रही थी, मैं कुछ आगे निकल गई थी। अचानक मैंने साइड मिरर से देखा एक जवान लड़का उस लड़की के पीछे चलते चलते उसे तंग कर रहा था। वह लड़की घबराकर तेज तेज चलने लगी, तो लड़का उसके आगे आकर खड़ा हो गया। मुझे यह देख बहुत गुस्सा आया, मैंने अपनी स्कूटी धीरे कर वापिस पीछे मोड़ी और झुककर नीचे से एक बड़ा पत्थर उठाकर उस लड़के के सिर पर मारा और पुलिस को भी मोबाइल से इन्फॉर्म कर दिया। लड़के के सिर पर चोट आई, जिससे वह एकदम नीचे बैठ गया, तो मैंने जल्दी से उस लड़की को अपने पास खींच लिया, वह बहुत घबरा रही थी। पुलिस स्टेशन पास ही था, इसलिए जल्दी पहुंचकर उन्होंने आकर लड़के को पकड़ लिया और मुझे धन्यवाद देते हुए बोले की आपकी तरह अगर हर नागरिक इस तरह अपना कर्तव्य निभाए तो हम भी जल्दी से जल्दी क्राइम को रोक पाएंगे। आज आपकी वजह से इस बच्ची की आबरु बच गई नहीं तो ना जाने क्या होता ? मेरी आंखों में आंसू थे कि मैं एक लड़की को उस दरिंदे से बचा पाई।
*क्या यह सिलसिला कभी थम पाएगा ?*