जब से भाजपा सरकार का गठन राजस्थान में हुआ है, गृह जिले झुंझुनूं मे सरकार के मंत्रीयो के ताबड़तोड़ दौरे हो रहे हैं। इन दौरो में केवल यही बात देखने को मिलती है कि जिले के स्थानीय नेताओं की माला, साफा पहनाने की होड़ लग जाती है। यह क्रम जिले में घुसते ही टोल प्लाजा से शुरू हो जाता है। इसके साथ ही झुंझुनूं स्थानीय नेताओं के पोस्टरो से पट जाता है कि वीर प्रसूता भूमि झुंझुनूं में आपका स्वागत है। अलग अलग ढाणियों में मंत्री का स्वागत सत्कार उनके वर्चस्व की लड़ाई को इंगित करता है। उसके बाद शुरू होता है सोशल मिडिया पर फोटो डालने का अभियान। आमजन से इन नेताओं का कोई संवाद यह स्थानीय नेता होने ही नहीं देते। प्रेस कांफ्रेंस होती है लेकिन उसमें जिले में जो पीने के पानी का ज्वलंत मुद्दा है, उसमें क्या प्रगति है व उसके बारे में सरकार का रूख व रोड मैप के बारे में आज तक एक शब्द भी सुनने को नहीं मिला। मंत्रियों के इर्द-गिर्द निजी महत्वाकांक्षा पाले स्थानीय नेताओं का जमावड़ा ही देखने को मिलता है। कानून व्यवस्था को लेकर जिले में जो अपराध हो रहे है व चोर मंदिरों को भी नहीं छोड़ रहे, इसको लेकर भी मंत्री महोदय को संज्ञान लेना चाहिए। मंत्री महोदय जब झुंझुनूं में घुसते हैं तो रेलवे क्रासिंग पर बन रहा पुल मुंह बाये खड़ा है, क्या यह उनको नहीं दिखाई देता ? झुंझुनूं का गांधी चौक से पंचदेव मंदिर वाला मुख्य मार्ग बिना बरसात ही झील बना रहता है, इसके साथ ही बरसात के दिनों मे झुन्झुनू में घुसते ही झुंझुनूं के विकास की तस्वीर से रूबरू होना पड़ता है लेकिन स्थानीय नेताओं को जनहित के मुद्दे मंत्री के संज्ञान में लाने की शायद जरूरत महसूस नहीं होती। अपने चहेतो के स्थानांतरण की बाढ जरूर देखने को मिली है, शायद स्थानीय नेता इसी को विकास मानने लगे हैं। मिडिया रिपोर्ट की माने तो झुंझुनूं में रसूखदारो की छत्रछाया में अवैध निर्माण की बाढ आई हुई है, इसको लेकर शायद ही स्थानीय प्रशासन ने कोई कार्रवाई की हो। जिला मुख्यालय पर एक सरकारी इंजिनियर महाविद्यालय की बहुत जरूरत है लेकिन इसको लेकर शायद ही मंत्री महोदय से मांग की गई हो। पत्रकारिता सरकार व जनमानस के मध्य सेतु का काम करता है, इसी को लेकर आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने जनमानस की आवाज बनकर सरकार व मंत्रियों के संज्ञान में लाने को लेकर पत्रकारिता के मूल्यों का निर्वहन किया है।
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