राजस्थान विधानसभा में भाजपा के मंत्री अविनाश गहलोत के प्रश्नकाल में इंदिरा गांधी को कांग्रेसियों की दादी कहे जाने पर कांग्रेसी विधायकों ने विधानसभा में अभूतपूर्व हंगामा किया। वैसे हमारी सामाजिक मान्यताओं के अनुसार दादी का स्थान बहुत उच्च होता है। अब अविनाश गहलोत ने इसको किस संदर्भ में कहा लेकिन यह शब्द किसी भी दृष्टि से असंसदीय प्रतीत नहीं होता। सूत्रों की माने तो कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह टोडासरा ने विधानसभा के बाहर भाजपा के विधायकों और नेताओं को गोडसे की औलाद कहकर भाषाई सुचिता को निम्न स्तर पर लाने के साथ ही सारी संसदीय मर्यादाएं लांघ दी। विधानसभा प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत है और आमजन से चुने गये जनप्रतिनिधि जब इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयान देते हैं तो आमजन को सोचना होगा कि उन्होंने कैसे नेता को चुनकर विधानसभा में भेजा है। कांग्रेस की संकीर्ण व गांधी परिवार के प्रति अपार निष्ठा को लेकर मै आपको अतीत में ले जाना चाहता हूं। एक समय था जब इंदिरा गांधी को कामराज की कठपुतली व गूंगी गुड़िया से संबोधन किया जाता था लेकिन तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरूआ ने तो सारी हदें पार कर दी और एक नारा दिया था कि इंदिरा इज इंडिया व इंडिया इज इंदिरा। यानी पूरे देश को ही इंदिरा में समेट कर रख दिया था। राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह टोडासरा व नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को शायद वह नारा याद न हो लेकिन जिस तरह देश को इंदिरा गांधी तक ही सिमित कर दिया क्योंकि यह उसी कांग्रेसियों की निष्ठावान विचारधारा का सूचक था कि गांधी परिवार की चापलूसी में हद से ज्यादा निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग कर सकते हैं। बरूआ का यह बयान चापलूसी की पराकाष्ठा होने के साथ ही भारतवर्ष का भी अपमान था। आज उन्हीं कांग्रेसियों को दादी शब्द अमर्यादित व असंसदीय लगने लगा। राजस्थान की जनता विधानसभा में अपने जनप्रतिनिधि से यह आशा रखता है कि उनके विधानसभा क्षेत्र की आमजन की समस्याओं को विधानसभा में उठाकर सरकार का ध्यान आकृष्ट करेंगे लेकिन जब उनके जनप्रतिनिधि गोडसे की औलाद व दादी जैसे पर्यायवाची शब्दों को लेकर हंगामा करे और विधानसभा अध्यक्ष के ऐसी भाषा का प्रयोग करें, जिसमें एक सड़क छाप व्यक्ति का चेहरा दिखाई देता हो तो शायद वह जनता भी शर्मसार होगी कि हमने कैसे जनप्रतिनिधि को चुनकर प्रदेश की उच्चतम पंचायत में भेजा है ।
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