आजकल जिस तरह से किसी बेनामी जमीन पर लोग अपना बोर्ड लगाकर मालिकाना हक जता देता है, ठीक उसी तरह निजी स्वार्थ को लेकर कुछ लोग धार्मिक आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं। मामला पिलानी में एक मंदिर तोड़ने को लेकर है। इसको लेकर सोशल मिडिया पर बाढ़ आई हुई है कि राम मंदिर को तोड़ दिया गया। कुछ यूट्यूब चैनल भी तथ्यहीन खबरें चलाकर सबसे पहले सबसे तेज प्रवृत्ति के साथ सम्प्रदायिक सद्भावना बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। पिलानी नगर पालिका की इओ की अतिक्रमण को तोड़ने की कार्रवाई सीएमओ के आदेश के तहत हुई है। सीएमओ ने सारे दस्तावेज देखकर ही उस अतिक्रमण को तोड़ने के आदेश दिए होंगे। धार्मिक आस्था की आड़ मे किसी भी भूमि पर अतिक्रमण करना यह एक फैशन बन गया है। सोशल मिडिया पर जिस तरह से इसको धार्मिक आस्था पर कुठाराघात को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं, उनको यह भी देखना चाहिए कि सरकार भाजपा की है और यह सरकारी आदेश के तहत ही कार्यवाही हुई है। इसके साथ ही प्रशासन को इस बात का भी संज्ञान लेना होगा कि यूट्यूब चैनल का इस तरह की आधारहीन खबरें प्रसारित कर जो सम्प्रदायिक सोहार्द बिगाड रहे हैं, उन पर लगाम लगाने की जरूरत है।
यदि यह मंदिर को नाजायज तरीके से तोडा है तो इसको किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता है लेकिन जो समाचार निकल कर आ रहे हैं, उसमें स्पष्ट है कि यह अतिक्रमण था और सीएमओ के आदेशों की अवहेलना स्थानीय प्रशासन नहीं कर सकता, उसके आदेशों को अमल में लाना स्थानीय प्रशासन के कर्तव्यों में आता है। यदि रात के अंधेरे में किसी की जमीन में मंदिर बना दिया जाए तो क्या उसे तोड़ा नहीं जाएगा। विदित हो बनारस कोरीडोर बनाने में इस तरह के बहुत से मंदिर ध्वस्त कर दिये गये थे, उस समय रामभक्त कहां चले गये थे।
आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) हमेशा सटीक व तथ्यात्मक पत्रकारिता का समर्थक रहा है। बिना तथ्यों के पत्रकारिता कर सामाजिक सोहार्द को बिगाडने की किसी को भी अनुमति नहीं दी जा सकती। यदि यह नाजायज तरीके से तोडा गया है तो कानून से उपर न तो सीएमओ है और न ही नगर पालिका प्रशासन, कोर्ट के समक्ष तथ्य रखने चाहिए न कि सस्ती लोकप्रियता को लेकर धर्म को हथियार बनाया जाए ।