शेखावाटी की धरा सेठ, साहुकारों व भामाशाहों के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है बल्कि सरस्वती पुत्रों ने भी अपनी वाणी और कलम से इस धरा को गौरवान्वित किया है। इस धरा ने सरस्वती पुत्रों को भी देश को दिया है, जिन्होंने अपनी लेखन व पत्रकारिता से देश की दशा व दिशा तय करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। ऐसे ही सरस्वती पुत्र पंडित झाबरमल शर्मा का जन्म झुंझुनूं जिले की खेतडी तहसील के जसरापुर गांव में पंडित रामदयालु के घर हुआ था। उनके पिता सुप्रसिद्ध संस्कृत के विद्वान व पीयूषमणि चिकित्सक थे। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने पिता से ही प्राप्त कर संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी व बांग्ला भाषा का ज्ञान प्राप्त किया, तत्पश्चात उन्होंने अपनी कर्मभूमि कोलकता को बनाया। उन्होंने कोलकाता से ज्ञानदेय और मारवाड़ी बंधुओं जैसे समाचार पत्रों का संपादन किया। 1914 में पंडित जी ने कोलकाता समाचार नामक दैनिक पत्र का संपादन शुरु किया। अपनी लेखनी के माध्यम से उन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया। रोलन एक्ट जैसे अंग्रेजी काले कानून के विरोध करने को लेकर पत्रकारिता को हथियार बनाया। इसको लेकर उनको गवर्नर की धमकी मिली की मारवाडियो को वहीं भेज दिया जाएगा, जहां से वह आये है। यह धमकी उनकी लेखनी पर लगाम नहीं लगा पाई और गवर्नर का ग़ुस्सा नामक शीर्षक से सम्पादकीय अग्रलेख में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को वह आईना दिखाया कि कलम में क्या ताकत होती है। यही कलम की ताकत अंग्रेजी हुकूमत को नागवार गुजरी और जमानत का पैसा न भरने से अखबार का प्रकाशन बंद करना पड़ा था।
आज के परिवेश में जिस तरह से पत्रकारिता के मूल्यों में गिरावट देखने को मिल रही है और बड़े बड़े इलैक्ट्रोनिक मिडिया हाऊस सरकार के साथ कदम ताल करते हैं उनके लिए पंडित झाबरमल शर्मा नजीर है, जिन्होंने अपनी लेखनी को अंग्रेजी हुकूमत की ड्योढ़ी पर नाक रगडने नहीं भेजा। पत्रकारिता हमारे लोकतंत्र का एक प्रमुख स्तम्भ होने के साथ ही सरकार व आमजन के बीच में सेतु का काम करता है लेकिन यह स्तम्भ अर्थ के बोझ से भर-भराकर गिरने की अवस्था में है। आज की पत्रकारिता जिस ओर जा रही है, उसे पंडित झाबरमल शर्मा से सीख लेनी चाहिए। पंडित झाबरमल शर्मा उच्च कोटि के साहित्यकार, समाजसेवक, इतिहासकार व स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने शेखावाटी का इतिहास, राजस्थान और नेहरू परिवार, मालविका, गुलेरी गरिमा, गांधी गुणानुवाद आदि ग्रन्थों की रचना कर महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रकाश में लाने का काम किया। पंडित जी उन पत्रकारों में थे, जिन्होंने पूर्ववर्ती व समकालीन साहित्यकारों की कीर्ति रक्षा के लिए अपने जीवन का अधिकांश समय लगाया। उनके पत्रकारिता जगत में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए उन्हें पद्म विभूषण से अलंकृत किया गया। राजस्थान पत्रकारिता के भीष्म पितामह पंडित झाबरमल शर्मा को आयुष अंतिमा हिन्दी समाचार समूह परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि क्योंकि मेरे भी पंडित जी आदर्श है और उन्हीं से प्रेरणा लेकर लेखन कार्य की तरफ रूझान हुआ है ।