राम कथा में हुआ राम-जानकी विवाह प्रसंग, श्रोताओं ने गाई बधाइयां

AYUSH ANTIMA
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श्री शुक सम्प्रदाय पीठाधीश छोटे दादा गुरुदेव श्री रसिक माधुरी शरण जी महाराज के 126वें जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में श्री सरस परिकर की ओर से अजमेर रोड पर नीलकंठ कॉलोनी स्थित श्री शुक संप्रदाय की आचार्य पीठ श्री बरसाना में शुक सम्प्रदाय पीठाधीश अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में हो रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा में सोमवार को भगवान राम के राज्याभिषेक की तैयारी, वनवास, निषादराज और केवट से भेंट के प्रसंग हुए। इससे पूर्व व्यासपीठ से आचार्य राजेश्वर ने राम-जानकी विवाह की कथा का श्रवण कराया। राम-जानकी प्रसंग सुन पूरा पांडाल खुशी से झूठ उठा। भगवान राम और सीताजी के चित्रपट का फूलों और चंदन से श्रृंगार किया गया। आचार्य राजेश्वर ने कहा कि सीता स्वयंवर में धनुष पर प्रत्यंचा चढ़़ाना कोई सरल कार्य नहीं था। राम ने जनकपुर के स्वयंवर में अपनी अद्भुत वीरता दिखाई और जिस धनुष को राजा-महाराजा हिला नहीं सकें उस धनुष को उठाकर रामजी ने सीता से विवाह किया। सीता ने रामजी के गले में वर माला डालकर उन्हें पति के रूप में स्वीकार किया। राम कथा में राम सीता के विवाह का दृश्य भी दर्शाया गया। उन्होंने कहा कि जनकपुर से जब सीताजी की विदाई हुई तब उनके माता-पिता ने उन्हें ससुराल में कैसे रहना है इसकी सीख दी। प्रत्येक माता-पिता को अपनी पुत्री के विवाह के समय ऐसी ही सीख देनी चाहिए। कन्या को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे ससुराल और मायका दोनों कुल कलंकित हो। माता सीता ने पूरे जीवन अपने माता-पिता की सीख का पालन किया। राजा दशरथ के तीनों अन्य पुत्रों लक्ष्मण भरत, शत्रुघ्न के विवाह का भी श्रवण कराया। राजा दशरथ के चारों पुत्र संस्कारी थे। जो लोग कुल एवं संस्कारों में श्रेष्ठ होते है उनके विवाह में कोई बाधा नहीं आती है। पुत्री का सुख चाहने वाले माता-पिता स्वयं ऐसे कुल एवं संस्कारवान परिवारों का चयन करते है, इसलिए जीवन में श्रेष्ठ आचरण करे। श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि मंगलवार को दशरथ के देहांत, भरत का वन जाकर राम को वापस लाने का प्रयास, राम-भरत मिलन, राम का भारद्वाज सहित अन्य ऋषियों से मिलन की कथा होगी। प्रारंभ में रामगोपाल सराफ ने व्यासपीठ का पूजन किया। धीरेन्द्र माथुर, नरेश माथुर, गोपाल सिंह एडवोकेट प्रबल, सीए प्रशांत अग्रवाल सहित अन्य ने विभिन्न व्यवस्थाएं संभाली। कथा नौ जनवरी तक प्रतिदिन दोपहर डेढ़ से शाम पांच तक होगी। *परीक्षित मोक्ष प्रसंग के साथ भागवत कथा का विश्राम*शास्त्री नगर के रांका पैराडाइज में सोमवार को श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का समापन हुआ। व्यास पीठ से पं.उमेश व्यास ने सुदामा चरित्र, भगवत नाम की महिमा, नव योगेश्वार संवाद, कलियुग वर्णन और परीक्षित मोक्ष की कथा का श्रवण कराया। उन्होंने कहा कि मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसे पर तीन ऋण होते है। ऋषि ऋण, देव ऋण और पितृ ऋण। इन तीनों ऋणों से व्यक्ति को उऋण होना चाहिए। कथा के यजमान हर्षित, कन्हैया लाल, कांता देवी ने महाआरती कर भंडारा प्रसादी का आयोजन किया गया।

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