जयपुर/अलवर: अंबेडकर भवन, झालाना के प्रांगण में आयोजित धम्म उत्सव हर्ष, उल्लास व उमंग के साथ संपन्न हुआ। समारोह के संयोजक डॉ.एमएल परिहार के अनुसार अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को सिर्फ सरकारी नौकरी के भरोसे रहने की बजाय बिजनेस सेक्टर में जाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से यह दो दिवसीय समारोह आयोजित किया गया। देश भर के विभिन्न क्षेत्र के उद्यमियों ने शिरकत की और अपने-अपने बिजनेस की स्टॉल भी लगाई। उद्यमियों ने मंच पर सभी के समक्ष अपनी सफलता की कहानियां बताई और बिजनेस द्वारा आर्थिक समृद्धि के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। उद्यमियों ने बताया कि आरक्षण के बिना भी प्राइवेट सेक्टर में अपने हुनर के द्वारा बिजनेस में सफलता पाने की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। इस दौरान बेरोजगार युवाओं ने मोटिवेशनल स्पीच को सुनकर तथा स्टॉल्स पर उद्यमियों से बातचीत कर स्टार्टअप का मन बनाया। लिटरेचर जोन में लेखकों, विचारकों, साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन, चर्चा तथा नामी लेखकों की पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई। बुद्ध के मानव कल्याणकारी धम्म व दर्शन में साहित्य प्रकाशन, प्रचार, प्रसार पर जोर दिया। इस अवसर पर विभिन्न सत्रों में प्रतिभागियों को भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के विश्व प्रसिद्ध व लोकप्रिय ग्रंथ 'धम्मपद' सभी को भेंट किया गया। उत्सव प्रांगण में भगवान बुद्ध, कबीर, रैदास, फुले, डॉ.अंबेडकर आदि महापुरुषों के जीवन दर्शन व शिक्षाओं से संबंधित पुस्तकों की स्टॉल्स द्वारा विक्रय किया गया, जिसमें आंगुतकों ने काफी रुचि दिखाई। उत्सव के दौरान बुद्ध धम्म, दर्शन व पालि साहित्य तथा भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन से संबंधित लंबी चित्र प्रदर्शनी लगाई गई। धम्म मंच पर "व्यक्ति, परिवार व समाज की खुशहाली में बुद्ध धम्म का योगदान" विषय पर विद्वानों के व्याख्यानों का आयोजन किया गया। इसके अलावा भगवान बुद्ध के जीवन व उनकी शिक्षाओं से संबंधित गायन, वाद्य और नाट्य मंचन किया गया, जिसकी उपासक उपासिकाओं ने काफी सराहना की। उत्सव के समापन पर संपूर्ण प्राणी जगत की समृद्धि व खुशहाली के लिए सामूहिक गायन द्वारा मंगलकामना की गई। धम्म उत्सव की विभिन्न गतिविधियों से प्रेरित होकर सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व धार्मिक खुशहाली के लिए अगला आयोजन जोधपुर में करने का उपासक उपासिकाओं ने निर्णय लिया। दो दिवसीय इस अनूठे धम्म उत्सव में समारोह में देश भर से हजारों उद्यमी तथा उपासक उपासिकाएं शामिल हुए।
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