झुनझुनू (राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला): राजस्थान के शिक्षा विभाग के लिए आज का दिन मिशाल पेश करने वाला रहा है।
शिक्षा विभाग राजस्थान के ऊर्जावान निदेशक आशीष मोदी ने निर्दोष डाइट व्याख्याता प्रमेन्द्र कुल्हार के एपीओ आदेश को प्रत्याहारित किया है। इस आदेश से पूरे शिक्षक समुदाय में खुशी की लहर है। आप सभी को ध्यान होगा कि पूर्व में डाइट व्याख्याता प्रमेन्द्र कुल्हार को झूठी शिकायत एवं राजनैतिक षड्यंत्र के कारण एपीओ कर दिया गया था। उस समय डाइट व्याख्याता प्रमेन्द्र कुल्हार जाँच में दोषी नहीं पाए जाने पर भी षड्यंत्रों के कारण एपीओ किए जाने पर झुनझुनू सहित पूरे राजस्थान के शिक्षक समुदाय में काफ़ी चर्चा का विषय रहा, जिसके कारण शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिह्न उठे थे। हालांकि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने उस वक्त भी कहा था कि अगर डाइट व्याख्याता दोषी नहीं है तो आदेश को रिमूव करेंगे। आपको बता दे की शिक्षा विभाग के राजकीय विधालयों के संबलन के एक अभियान के तहत राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद जयपुर के उपनिदेशक के साथ डाइट व्याख्याता प्रमेंद्र कुल्हार श्रीमती रमादेवी मुरारका राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विधालय मुकुंदगढ़ में राज्य स्तरीय परीक्षा के लिए सम्बलन के लिए गए थे। संबलन के दोरान विधालय में अनेकों अव्यवस्थाएं पायी गई। विधालय में पायी गई अनेकों कमियों और अव्यवस्थाओं को छुपाने के लिए विधालय के प्रधानाचार्य श्रीमती मीनाक्षी तंवर ने शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा अधिकारियों, उपनिदेशक एवं डाइट व्याख्याता प्रमेन्द्र कुल्हार पर अनेकों गंभीर आरोप लगाए थे। उक्त गंभीर प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त निदेशक चूरू को सौपकर करवायी गई। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के राज्य परियोजना निदेशक के निर्देश पर चूरू संभाग की संयुक्त निदेशक ने शिकायतों की बिंदूवार जांच की, जिसमें तीन जिलो के जिला शिक्षा अधिकारियों की जांच कमेटी बनाई गई। जिसमें तत्थ्यात्मक जांच में सामने आया कि उपनिदेशक और डाइट व्याख्याता परमेंद्र कुलहार पर मिनाक्षी तंवर द्वारा लाए गए दुराचार और दुव्यर्वहार के आरोप झूठे और निराधार है। इस विस्तृत जांच रिपोर्ट में मिनाक्षी तंवर को लेकर झूठी शिकायत आदि का हवाला देते हुए टिप्पणी की गई है। संयुक्त निदेशक की जांच रिपोर्ट में मिनाक्षी तंवर द्वारा मामले की शिकायत विभागीय अधिकारियों की बजाय अन्य अधिकारियों को कर विभाग के अधिकारियों के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने, विद्यालय के राजकीय अभिलेख बिना किसी सक्षम स्तर की स्वीकृति के बाहर के व्यक्तियों को उपलब्ध करवाना, शिक्षा विभाग एवं शिक्षा अधिकारियों की छवि खराब करना, बिना अनुमति के मुख्यालय छोड़ना, विधालय में अपने राजकीय दायित्व का सही निर्वहन नहीं करना, शिक्षा अधिकारियों को धमकी देना सहित अन्य आरोप सिद्ध हुए हैं।
अब देखना ये है की जब जाँच में निर्दोष पाए जाने पर डाइट व्याख्याता प्रमेन्द्र कुल्हार के आदेश को निदेशक माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर द्वारा प्रत्याहारित कर शिक्षा विभाग एवं इनके शिक्षकों के लिए सकारात्मक संदेश दिया है तो जांच में दोषी प्रधानाचार्य श्रीमती मीनाक्षी तंवर पर करवाई कब तक ? शिक्षा विभाग के मुखिया को दोषियों पर करवाई करते हुए एक बार पुन: राजस्थान में मिशाल पेश करनी चाहिए ताकि राजस्थान का कोई भी पुरुष अथवा महिला महिला कार्मिक उच्च अधिकारियों पर झूठे आरोप लगाने वालो पर और महिला अधिकारो का दुरुपयोग करने वाली महिला कार्मिको को सबक मिल सके ।