सड़कों पर दौड़ रही मौतों का जिम्मेदार आखिर कौन

AYUSH ANTIMA
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राजस्थान में कभी स्लीपर बसों में आग लगना तो कभी रोड़ पर दुर्घटना की खबरें सुर्खियों मे है लेकिन अभी एक दर्दनाक हादसा देखने को मिला, जिसमें नशे में धुत एक डंपर चालक ने 14 लोगो को मौत के घाट उतार दिया। जयपुर के निकट हरमाड़ा, लोहा मंडी मे नशे में धुत एक डंपर चालक ने तेज गति से डंपर चलाकर वाहनो पर चढ़ा दिया, जिससे 14 लोगो की मौत होने के साथ ही दर्जन भर लोग गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं। इन मौतों को लेकर भजन लाल शर्मा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर का बहुत ही असंवेदनशील बयान देखने को मिला है कि अगर कोई शराब पीकर गाडी चलाए तो उसके लिए परिवहन विभाग जिम्मेदार नहीं हैं। यदि देखा जाए तो पिछले कुछ दिनों मे ऐसी दुर्घटनाओं ने सैकड़ों लोगों की जान ली है। अब यदि स्वास्थ्य मंत्री का बयान देखे तो सड़कों पर तैर रही मौतों के लिए सरकार व सरकारी विभाग कतई जिम्मेदार नहीं हैं। सरकार का काम किसी व्यक्ति द्वारा नई गाड़ी खरीदने पर सारे टैक्स वसूल कर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लेना है और परिवहन विभाग अवैध वसूली में व्यस्त रहता है क्योंकि इस वसूली में उपर बैठे आकाओं का भी हिस्सा होता है, जिनके संरक्षण में यह अवैध वसूली करते हैं। ओवरलोड की आड़ में परिवहन विभाग की पौ बारह हो रही है। पहले फिटनेस सर्टिफिकेट देने में भ्रष्टाचार, फिर हाईवे पर अनदेखी करने में इस विभाग का कोई सानी नहीं है। यही कारण है कि बदहालात में कामर्शियल वाहन हाईवे पर मौत लिए घूमते नजर आते हैं। सरकार इस दुखान्तिका के बाद चेती है कि शराबी ड्राइवरों का लाईसेंस रद्द किया जाएगा, जबकि सरकार ने इस नशे को बढ़ावा देने के लिए हाईवे पर शराब की दुकानों के लाईसेंस दे रखे हैं। इसके साथ ही हाईवे पर अवैध ढाबे व होटल बने हुए हैं, जहां सारी व्यवस्थाएं ड्राईवरो के लिए उपलब्ध होती है। देखा जाए तो परिवहन विभाग का सारा ध्यान ओवर लोड व स्पीड वाहनों को और वह भी केवल निजी वाहनों को पकड़ने और वसूली करने में व्यस्त रहता है। पुलिस की यह मोबाईल वैन केवल निजी वाहनों तक ही सिमटकर रह जाती है। पुलिस व परिवहन विभाग की आंखों के आगे कामर्शियल वाहन डंपर, बसे आदि तेज गति से गुजरती है लेकिन यह उनको दिखाई नहीं देती। हाईवे पर वाहन नियम के मुताबिक चले इसकी जिम्मेदारी परिवहन विभाग की होती है लेकिन यह विभाग भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है, जिसके कारण अर्थ रूपी चश्में से उनको कुछ भी दिखाई नहीं देता है। यदि देखा जाए तो ट्रान्सपोर्ट के कारोबार कर रहे लोगों पर राजनेताओं व अधिकारियों की मेहरबानी रहती है। इन लोगों के रसूख सत्ता में बैठे नेताओं व अधिकारियों से बहुत ही प्रगाढ़ है। सरकार के मंत्री ने तो यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि ऐसी दुखान्तिका की जिम्मेदारी परिवहन विभाग की नहीं है लेकिन आमजन के मन में एक ज्वलंत प्रश्न घूम रहा है कि आखिर सड़कों पर दौड़ रही मौतों का जिम्मेदार कौन है ?

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