बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में मनाई गई वंदे मातरम" की 150वीं वर्षगांठ

AYUSH ANTIMA
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बीकानेर (श्रीराम इंदौरिया): अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली के निर्देशानुसार बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में वंदे मातरम" की 150वीं वर्षगांठ मनाई गई। बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत समूह वंदे मातरम गीत से हुई। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने प्रधानमंत्री का इंदिरा गांधी स्टेडियम नई दिल्ली से संबोधन का सीधा प्रसारण भी देखा। कार्यक्रम संचालिका डॉ.अनु शर्मा और डॉ.प्रीति पारीक ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया, सभी को देश भक्ति की भावना जागृत करने के लिए उत्साहित किया। सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम में विभिन्न संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों ने सहभागिता निभाई। भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय अस्मिता में "वंदे मातरम" के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कुलगुरु प्रोफेसर अखिल रंजन गर्ग ने सभी को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ की बधाई दी। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि वंदे मातरम भारत की सांस्कृतिक विरासत और देशभक्ति की भावना की एक शाश्वत अभिव्यक्ति है। यह गान राष्ट्र की सभ्यता और सांस्कृतिक चेतना का एक अभिन्न अंग बन गया है। इस मील के पत्थर को मनाने का अवसर एकता, बलिदान और भक्ति के कालातीत संदेश की पुष्टि करने का अवसर प्रदान करता है। इस गीत ने आजादी की लड़ाई के दौरान देश को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया। अधिष्ठाता अकादमिक डॉ.सुधीर भारद्वाज ने कहा कि वन्दे मातरम् संपूर्ण भारत की सामूहिक अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधने वाला मंत्र है। इस गीत ने हर भारतीय के मन में यह भाव रचने का प्रयास किया कि व्यक्ति जाति-मत-मजहब से ऊपर उठकर राष्ट्र के बारे में सोच सके और राष्ट्रप्रथम के भाव के साथ राष्ट्रमाता के प्रति सामूहिक अभिव्यक्ति से ओतप्रोत रहे। यूसीईटी प्राचार्य डॉ.परबन्त संधू ने कहा कि वन्दे मातरम् गीत 150 वर्ष से हर भारतीय के मन में राष्ट्रीयता का भाव पैदा करने के साथ भारत को नई दिशा देने व भारत की सामूहिक चेतना को आगे बढ़ाने में सफल रहा है। उन्होंने कहा कि यह गीत भारत की विविधता में एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है, जिसे हर नागरिक को संजोकर रखना चाहिए।

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