जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): प्रदेशभर के छात्रों की छात्रसंघ चुनाव बहाली की मांग को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में कल अहम सुनवाई हुई। शुभम रेवाड एवं अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर माननीय न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ में मामले की सुनवाई हुई।
याचिका में कहा गया कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव न केवल छात्रों का मौलिक अधिकार है, बल्कि यह छात्रों के प्रतिनिधित्व और उनकी समस्याओं के समाधान का एक प्रभावी माध्यम भी है। न्याय मित्र अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने कोर्ट को छात्रसंघ चुनावों से जुड़ी लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि यूजीसी भी विश्वविद्यालयों को छात्रसंघ चुनाव करवाने के निर्देश दे चुका है, इसके बावजूद कई संस्थान छात्रों से चुनाव के नाम पर फीस लेते हैं लेकिन चुनाव नहीं कराते।
कोर्ट ने इस दौरान सिंडिकेट की अथॉरिटी पर भी सवाल उठाए और विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका पर गंभीर टिप्पणी की। छात्रों के प्रतिनिधित्व की गैर मौजूदगी में उनकी समस्याएं अनसुनी रह जाती हैं, ऐसे में छात्रसंघ चुनाव होना अत्यंत आवश्यक है, ताकि छात्र अपनी बात उचित मंच पर रख सकें। छात्रसंघ एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा है, जिससे छात्रों को नेतृत्व, संवाद और समाधान की प्रक्रिया का हिस्सा बनने का अवसर मिलता है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शांतनु पारिक ने पैरवी की। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 15 अक्टूबर 2025 तय की है।