गोचर मुद्दा: सरकार पर चहू ओर से प्रहार

AYUSH ANTIMA
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बीकानेर संभाग मुख्यालय की गोचर भूमि को बीडीए के मास्टर प्लान में शामिल करने के खिलाफ उठे जन विरोध पर सरकार की चुप्पी से भारतीय जनता पार्टी और प्रदेश में भजन लाल सरकार की तीखी आलोचना हो रही है। सरकार के इस निर्णय के खिलाफ केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन सिंह राठौड़, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, बीकानेर के चार भाजपा विधायक, देवी सिंह भाटी और अन्य नेता जनता के साथ बोल चुके हैं। जन विरोध तो तब से ही चल रहा है, जब यह निर्णय जनता के सामने आया। हद तो तब हो गई कि गोपाष्टमी को कांग्रेस के चार पूर्व मंत्री डॉ.बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी, गोविन्द राम मेघवाल, महेन्द्र गहलोत, शहर अध्यक्ष यशपाल गहलोत, देहात अध्यक्ष बिशना राम सियाग, प्रदेश सचिव गजेन्द्र सिंह सांखला और अन्य पदाधिकारी इस निर्णय के खिलाफ बीकानेर कलेक्ट्रेट पर धरना देने बैठे। इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता सूरज प्रकाश राव, महेन्द्र किराडू, मनोज, कैलाश सहित अन्य कार्यकर्ता भी साथ रहे। धरना स्थल पर सरकार, भाजपा और प्रशासन की जमकर भर्त्सना की गई। सरकार ने इस मामले में जनभावनाओं के अनुरूप संवेदनशीलता नहीं दिखाई है। इससे राजस्थान सरकार और भारतीय जनता पार्टी की इस मुद्दे पर पूरे पश्चिमी राजस्थान में भद्द पिट रही है। सरकार के संवेदनहीनता की यह स्थिति तब है, जब संभागीय आयुक्त विश्राम मीणा ने पूरे मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। दरअसल बीकानेर के इर्द गिर्द की गोचर बीकानेर के सेठों ने राजकोष में धन जमा करवाकर गोचर के रूप में दान दी थी। भीनासर गोचर, गंगाशहर गोचर और सरेह नथानिया की गोचर की जन सहयोग से तारबंदी कर गोचर समितियां बाकायदा पीढियों से देखरेख कर रही है। गोचर भूमि के पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं की पूरी देखभाल की जाती है। एक बार सरकार गोचर के अन्दर जाकर देख लें कि लोगों ने गोचर संरक्षण के लिए कितनी व्यवस्थाएं कर रखी है। इन गोचर भूमियों से एक भी पेड़ नहीं काटा जा सकता, पूरा पहरा रहता है। हजारों पेड़ लगाएं है। वन्य जीवों के पेयजल के लिए कुण्डिया बना रखी है। पक्षियों के पानी के लिए पेड़ों पर पाळसिये रखे है। हर दिन इनमें पानी भरा जाता है। लोग पक्षिय़ों को रोज दाना डालते है। हिरण, लोमडी और अन्य जीवों के लिए भी खाद्य सामग्री डाली जाती है। जब जमीन पर घास नहीं होती तो गायों को सूखी घास डाली जाती है। गोचर का यह आन्दोलन कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। भले ही राजनेता अपने अपने उद्देश्यों को लेकर साथ हो, वास्तव में गोचर का यह मुद्दा जन भावना से जुड़ा है। जनता, संत समाज और गोभक्त इससे जुड़े है। कांग्रेस ने धरनास्थल पर सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि गोचर के लिए जान भी देनी पड़ी तो पीछे नहीं हटेंगे, भाजपा और प्रशासन हठधर्मिता छोड़े। राजस्थान सरकार को समझना चाहिए कि पूर्व मंत्री बुलाकी दास कल्ला ये आरोप क्यों लगा रहे है कि गोचर को अराजीराज करने के पीछे जिला प्रशासन की आड में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व काम कर रहा है। जो भाजपा गाय के नाम पर राजनीति करती है, उसके राज में बीफ निर्यात में भारत नंबर एक की श्रेणी में आ गया। उससे भी बड़ी इनकी सीनाजोरी देखो कि गोचर जिसकी मालिकाना हक किसी और का है, उसको सत्ता के दम पर भाजपा पूंजीपतियों को बेचना चाहती है, जिसको किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गोचर बचाने के लिए हर परिस्थिति, हर मोर्चे पर लड़ते हुए विधिक लड़ाई भी लड़ेंगे। जरूरत पड़ी तो आमरण अनशन करेंगे लेकिन गोचर को अराजीराज नहीं होने देंगे। उन्होंने उपवास स्थल पर न्यायालय के आदेश और सरकार के आदेश जो कि 2025 के है, उसको दिखाते हुए भाजपा के सभी मंत्रियों और विधायकों को खुली चुनौती दी कि वे अपने नापाक मंसूबों से पीछे हट जाए वरना आने वाले समय में इनकी असलियत आमजनता के सामने रखेंगे।" जागों सरकार जागों। चारों और से प्रहार हो रहे है।

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