जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): राजस्थान उच्च शिक्षा विभाग द्वारा “राजस्थान कोचिंग सेंटर (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) अधिनियम, 2025” के नियम निर्माण को लेकर जेएलएन मार्ग स्थित शिक्षा संकुल पर प्रातः 11.30 बजे से आयोजित बैठक में संयुक्त अभिभावक संघ की ओर से प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू शामिल हुए ओर विद्यार्थियों और अभिभावकों के हित में कई महत्वपूर्ण सुझाव लिखित और मौखिक रूप से प्रस्तुत किए। संघ की ओर से प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव डॉ.मुकेश शर्मा की अध्यक्षता में मंगलवार को बुलाई गई इस बैठक में संघ को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया, जो सरकार की संवेदनशीलता और पारदर्शिता की दिशा में सराहनीय कदम है। इस बैठक में प्रदेश के प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों के डायरेक्टर सहित निशा, स्कूल क्रांति संघ, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन सहित स्कूल शिक्षा निदेशक, चिकित्सा शिक्षा निदेशक सहित जयपुर, कोटा और सीकर कलेक्टर एवं उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
*संघ द्वारा दिए गए प्रमुख सुझाव इस प्रकार हैं*
*आर्थिक पारदर्शिता और फीस नियंत्रण:*
* प्रत्येक कोचिंग संस्थान की वार्षिक फीस सार्वजनिक की जाए।
* बीच में कोर्स छोड़ने पर फीस वापसी की स्पष्ट व्यवस्था हो।
* किसी भी प्रकार के छिपे हुए शुल्क पर रोक लगाई जाए।
*विद्यार्थी सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य*
* प्रत्येक संस्थान में काउंसलर और हेल्प डेस्क अनिवार्य हों।
* आत्महत्या जैसी घटनाओं की रोकथाम हेतु “स्टूडेंट सेफ्टी कोड” लागू किया जाए।
* हॉस्टल में 24×7 हेल्पलाइन और सुरक्षा मॉनिटरिंग की व्यवस्था हो।
*शैक्षणिक गुणवत्ता और जवाबदेही*
* शिक्षकों की योग्यता और अनुभव की जांच सुनिश्चित की जाए।
* भ्रामक विज्ञापनों और झूठे चयन दावों पर सख्ती बरती जाए।
* डेमो क्लासेज या ट्रायल सिस्टम को अनिवार्य बनाया जाए।
*विद्यार्थी अधिकार एवं शिकायत निवारण प्रणाली*
* “कोचिंग रेगुलेटरी अथॉरिटी” में अभिभावक प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया जाए।
* छात्र–संस्थान समझौते (स्टूडेंट इंस्टिट्यूट एग्रीमेंट) को अनिवार्य किया जाए।
*हॉस्टल और पर्यावरण मानक*
* सभी हॉस्टलों का पंजीकरण और निरीक्षण अनिवार्य हो।
* सुरक्षा, स्वच्छता, भोजन गुणवत्ता और सीसीटीवी निगरानी के मानक तय किए जाएं।
*नियमन उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई*
* नियमों की अवहेलना करने वाले संस्थानों का लाइसेंस निलंबित/रद्द किया जाए।
* छात्र आत्महत्या या उत्पीड़न के मामलों में जिम्मेदार संस्थान/अभिभावक/शिक्षक/संचालक पर कानूनी कार्रवाई हो।
संघ ने यह भी आग्रह किया कि नियम निर्माण प्रक्रिया में अभिभावक प्रतिनिधियों को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया जाए ताकि निर्णय जमीनी हकीकत के अनुरूप हो सकें।
संयुक्त अभिभावक संघ, राजस्थान ने उच्च शिक्षा विभाग को इस पहल के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि संघ विद्यार्थियों और अभिभावकों की आवाज को मजबूती से सरकार और प्रशासन तक पहुंचाने में लगातार सक्रिय रहेगा।