जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): राजस्थान माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, बीकानेर द्वारा शिक्षा मंत्रालय के आदेश पर प्रदेश के सभी सरकारी विद्यालयों में “दीवाली पर्व” पर लाइटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इस आदेश पर अब संयुक्त अभिभावक संघ, राजस्थान ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए शिक्षा विभाग की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। संघ ने कहा कि जब प्रदेश के हजारों सरकारी विद्यालय जर्जर हालत में हैं — बच्चों के बैठने तक की बेंचें नहीं हैं, दीवारों और छतों का प्लास्टर झड़ रहा है, शौचालय बंद पड़े हैं और कई स्कूलों में तो बिजली के कनेक्शन तक नहीं हैं। ऐसे में “दीवाली लाइटिंग” करवाने का आदेश विभाग की संवेदनहीनता और दिखावे की मानसिकता को उजागर करता है। संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा, सरकारी स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सुरक्षित भवन, साफ पानी और शौचालय तक नसीब नहीं, मगर विभाग ‘दीवाली लाइटिंग’ के आदेश निकालने में व्यस्त है। यह शिक्षा नहीं, दिखावे की राजनीति है। जिन स्कूलों में ट्यूबलाइट तक नहीं जलती, वहां ‘प्रकाश पर्व’ का आदेश देना शिक्षा विभाग की संवेदनहीनता को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा विभाग को पहले सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित करनी चाहिए, शिक्षकों की कमी दूर करनी चाहिए, और आरटीई के अंतर्गत चयनित बच्चों के लंबित दाखिले तत्काल करवाने चाहिए। अगर बच्चों को अच्छी और व्यवस्थित शिक्षा मिलेगी, जिससे उनके जीवन में उजाला आएगा, वही सच्चे अर्थों में ‘प्रकाश पर्व’ होगा अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा। संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है कि पहले उन स्कूलों को चिन्हित किया जाए, जो कम बजट में दुरुस्त हो सकते हैं। प्रत्येक सरकारी विद्यालय का निरीक्षण कर अव्यवस्थाओं को तत्काल दुरुस्त किया जाए ताकि गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को वास्तविक रूप में अच्छी शिक्षा मिल सके। संघ ने कहा कि सरकार का मकसद स्कूलों पर लाइटिंग जलवाकर दिखावा करना नहीं, बल्कि बच्चों के जीवन में शिक्षा का वास्तविक प्रकाश फैलाना होना चाहिए।
शिक्षा मंत्रालय को टूटे सरकारी स्कूल, टूटी बेंचें और जर्जर छतें दिखाई नहीं देतीं
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October 10, 2025
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