राजनीतिक दृष्टि से देखें तो झुन्झुनू जिले में विप्र समाज में शून्यता ने घर कर लिया। कभी राजनीतिक पटल पर नरोत्तम लाल शर्मा व मास्टर हजारी लाल ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी लेकिन तत्पश्चात ऐसा कोई चेहरा नहीं पनपा, जो इस शून्यता की भरपाई कर सके। इसका मूल कारण है कि युवा पीढ़ी का आगे न आना या फिर यह कहें कि जिनके कंधों पर विप्र समाज की जिम्मेदारी है, वे महानुभाव युवा पीढ़ी को आगे नहीं आने देना चाहते हैं। यह देखा गया है कि जहां भी विप्र समाज का समारोह होता है, जिले के वही चिरपरिचित चेहरे मंच की शोभा बढाते नजर आते हैं। किसी भी समाज की रीढ़ युवा पीढ़ी होती है लेकिन फ्रंट लाईन में देखें तो युवा चेहरों का अभाव नजर आता है। अनगिनत संगठन बनाकर खुद को स्वयंभु अध्यक्ष बनने से विप्र समाज मे एकता का अभाव देखने को मिल रहा है। अपने वजूद को तिलांजलि देकर राजनेताओं के पिछलग्गू बनने की होड़ लगी हुई है। भाजपा की बात करें तो जगदीश खाजपुरिया, सुभाष शर्मा व राजेन्द्र शर्मा संगठन मे जिले की कमान संभाल चुके हैं। खंड खंड संगठनों में विभक्त विप्र समाज का हर राजनेता फायदा उठा रहा है। विदित हो एकता में ही शक्ति निहित होती है। एकता के अभाव में समाज हो या परिवार, उसका बाहरी व्यक्ति फायदा उठाते आए है और वर्तमान परिदृश्य में यही खेला समाज के साथ हो रहा है। जरूरी नहीं कि जो आज राजनीतिक पटल पर है, वे सदैव रहेंगे क्योंकि परिवर्तन प्रकृति का नियम है और हमें प्रकृति के विपरीत आचरण नहीं करना चाहिए कि युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने का मौका देने के साथ ही खुद के अनुभवों को उनसे साझा करना चाहिए। युवा व अनुभव यदि एक जाजम पर आ जाए तो निश्चित रूप से समाज के लिए सुखदाई स्थिति होने वाली है। भगवान श्री परशुराम की जय बोलकर एकता की इति श्री करने वाले महानुभावों को मंथन करना होगा व युवा पीढ़ी को हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित मानवीय व सामाजिक मूल्यों का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करना होगा। आधुनिकता की इस अंधी दौड़ मे हमारे सांस्कृतिक व सामाजिक मूल्यों को जीवंत रखने की जिम्मेदारी भी युवा पीढ़ी के कंधों पर ही है। अनुभव को लेकर युवा शक्ति को प्रेरणा देनी होगी। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि समाज ने हमें क्या दिया बल्कि हमारी सोच यह होनी चाहिए कि समाज को हम क्या दे रहे हैं। किसी भी समाज के उत्थान में युवा वर्ग की भागीदारी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वे देश के भविष्य और विकास तथा समाज में बदलाव लाने के सबसे बड़े जीवंत और ऊर्जावान हिस्से हैं। युवा वर्ग में बदलाव लाने, नेतृत्व करने व समाज की समस्याओं का समाधान ढूंढने की अपार क्षमता है। उनकी भागीदारी से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में बढ़ावा मिलता है। युवा वर्ग में सामाजिक बुराईयों और अपराध के खिलाफ आवाज उठाने और जागरूकता पैदा करने की शक्ति होती है। वे सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण के साथ नये विचारों को अपनाते हैं, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव आता है। समाज के वरिष्ठजनों को सोचना होगा कि युवा वर्ग को हासिए पर धकेलने के गंभीर परिणाम होते हैं और वह समाज भुगत भी रहा है कि हम विप्र समाज में शून्यता देख रहे हैं। समाज के महानुभावों को इस बात का भी मंथन करना होगा कि आखिर राजनीतिक दृष्टि से पिछड़ने के क्या कारण रहे हैं ।
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