जयपुर के सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी का इंदौर में धमाकेदार और ऐतिहासिक स्वागत

AYUSH ANTIMA
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जयपुर/इंदौर (श्रीराम इंदौरिया): रूहानियत, इमान और क़ौमी एकता का शानदार नज़ारा मध्यप्रदेश की रौनक़ इंदौर में देखने को मिला, जब ग़ौसे आज़म फ़ाउंडेशन के चेयरमैन व चीफ़ क़ाज़ी, हज़रत मौलाना सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी साहब (ख़लीफ़ा मुफ़्ती-ए-आज़म मालवा, पीरे तरीक़त, हमदर्दे क़ौम व मिल्लत) शहर-ए-इंदौर पहुँचे। उनके इस्तक़बाल में मानो पूरा इलाक़ा उमड़ पड़ा, नूरी जामा मस्जिद में नारों और फूलों की वर्षा से माहौल रूहानी और जोश से लबरेज़ हो गया। पटेल समाज की जानी-मानी हस्तियों ने हज़रत का स्वागत फूलों की मालाओं, नारों और इज़्ज़त व अक़ीदत के साथ किया।

*स्वागत करने वालों में शामिल थे*

हाजी सरपंच ऐहसान पटेल (सदर, नूरी जामा मस्जिद कमेटी), नायब सदर हाजी पप्पू पटेल, हाजी मंसूर पटेल, हाजी शमशेर पटेल, हाजी मुंशी पटेल, हाजी अरब अली पटेल, हाजी अब्बास पटेल, हाजी शाकिर पटेल, हाजी इस्लाम पटेल, अमजद पटेल, हाजी वसीम पटेल, हाजी कुदरत पटेल, हाजी अफसर पटेल, शेर अली शाह, हाजी नासिर पटेल, मक़सूद पटेल और इरफ़ान पटेल व अन्य जिम्मेदारान।

हुज़ूर सैफ़े मिल्लत का पैग़ाम: “जो अपडेट है वही सफल है!”
अपनी रूह-परवर और शोलाबार तक़रीर में हज़रत पीर सैफुल्लाह क़ादरी साहब ने झकझोर देने वाला पैग़ाम दिया।
हज़रत ने कहा: “क़ौम के साथ-साथ उलमा को भी अपडेट रहने की ज़रूरत है। जो अपडेट होता रहता है, वही सफलता प्राप्त करता है। अगर हमने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के तीन मज़बूत स्तंभ थाम लिए — तो दुनिया की कोई ताक़त हमारी क़ौम का बाल भी बांका नहीं कर सकती।”

*उन्होंने आगे फ़रमाया*

“अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की फ़रमाबरदारी ही असल ईमान और अटल यक़ीन है। ईमान और यक़ीन मज़बूत तो हर चीज़ मज़बूत, यह कमज़ोर तो हर चीज़ कमज़ोर। वक़्त की पुकार है कि मुसलमान अपने आपको पहचाने और इस्लाम दुश्मन ताक़तों को इल्मी, अमली और इत्तेहादी जवाब दे!” हज़रत के इन जुम्लों पर मस्जिद “अल्लाहु अकबर” के नारों और "सुब्हानल्लाह" की सदाओं से गूंज उठी और महफ़िल में रूहानी जोश का समंदर उमड़ आया।

*क़ौम और मिल्लत के लिए नया विज़न*

पीर सैफुल्लाह क़ादरी साहब ने क़ौम के बहादुर नौजवानों और समाजसेवियों को एक नया मिशन सौंपा —“शिक्षा में तरक़्क़ी करो, सेहत का ख़्याल रखो, हलाल रोज़गार को तरजीह दो और अपने बच्चों को दीनी व दुनियावी दोनों इल्म से लैस करो। यही असल जिहाद है-इल्म और अमल का जिहाद।”

*महफ़िल बनी रूहानी क्रांति का मंज़र*

तक़रीर के बाद बड़ी संख्या में अक़ीदतमंदों ने हुज़ूर सैफ़े मिल्लत से मुलाक़ात की, दुआएं लीं और रूहानी नज़ारे से अपने दिलों को गर्माया। महफ़िल के समापन पर हज़रत ने मुल्क में अमन, सलामती और क़ौमी एकता की दुआ की।

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