“12 हजार से अधिक छात्रों का परिणाम बदला, अब कार्रवाई की बात: संयुक्त अभिभावक संघ ने सरकार और शिक्षा विभाग से पूछा, छात्रों के भविष्य से हुआ यह मज़ाक आखिर कौन सहेगा”

AYUSH ANTIMA
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जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं और बारहवीं परीक्षा की कॉपियों की जांच में हुई भारी लापरवाही पर संयुक्त अभिभावक संघ, राजस्थान ने कड़ी आपत्ति जताई है। संघ ने कहा कि “यह मात्र शिक्षकों की नहीं बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की असफलता है, जिसके कारण हजारों छात्रों का भविष्य अस्थिर हुआ।” संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि “जब 12,035 छात्रों का परिणाम बदल गया, तो यह दर्शाता है कि कॉपी जांचने की प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं। यह सिर्फ ‘टीचर्स की गलती’ कहकर टाला नहीं जा सकता। यह पूरे सिस्टम की जवाबदेही का मामला है। शिक्षा विभाग, बोर्ड प्रशासन और सरकार, सभी इस लापरवाही के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं।” उन्होंने कहा कि बोर्ड की गलती के कारण हजारों छात्रों के साथ अन्याय हुआ, कई बच्चों का आत्मविश्वास टूटा, किसी का करियर दांव पर लग गया और किसी की आगे की प्रवेश प्रक्रिया प्रभावित हुई। “अब जब रिजल्ट बदलने के बाद बोर्ड को गलती का एहसास हुआ है, तो सिर्फ शिक्षकों पर कार्रवाई दिखावा भर है। असली जिम्मेदारी तय होनी चाहिए कि मॉडरेशन, सुपरविजन और वैरिफिकेशन के स्तर पर यह चूक कैसे हुई।”

*संयुक्त अभिभावक संघ ने मांग की है कि*

* संपूर्ण कॉपी मूल्यांकन प्रक्रिया की पारदर्शी जांच एक स्वतंत्र समिति से कराई जाए।

* जिन छात्रों के परिणाम में बदलाव हुआ है, उनके लिए मुआवजा या विशेष सुधार अवसर दिया जाए।

* शिक्षकों के साथ-साथ बोर्ड अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाए।

* भविष्य में कॉपी जांच प्रक्रिया को डिजिटल मॉडरेशन और ऑडिट सिस्टम से जोड़ा जाए ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि “राज्य सरकार को यह समझना होगा कि परीक्षा मात्र एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि हर बच्चे के जीवन की दिशा तय करती है। यदि शिक्षा विभाग ही इस स्तर पर लापरवाह रहेगा, तो फिर ‘समान शिक्षा, निष्पक्ष मूल्यांकन’ जैसे शब्द खोखले साबित होंगे।”

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