शेखावाटी की राजनीति के भीष्म पितामह काका सुंदरलाल की प्रथम पुण्यतिथि पर विशेष

AYUSH ANTIMA
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भाजपा के कद्दावर नेता, शेखावाटी की राजनीति के भीष्म पितामह काका के नाम से मशहूर काका सुंदरलाल की आगामी 13 तारीख को प्रथम पुण्यतिथि है। काका सुंदरलाल का जन्म 22 अगस्त 1933 को झुन्झुनू जिले की बुहाना तहसील के गांव करवा में हुआ था। काका सुंदरलाल सात बार विधायक रहने के साथ ही राजस्थान सरकार में कैबिनेट व राज्य मंत्री रहे। पिलानी विधानसभा में पहली बार कमल खिलाने का श्रेय काका सुंदरलाल को ही जाता है।‌ उनके स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मधुर व आत्मीय संबंध रहे। शेखावाटी में दलित समाज के सर्वमान्य नेता थे। कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले शेखावाटी में भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने में काका सुंदरलाल का विशेष योगदान था। अपनी ठेठ राजस्थानी छवि और हाजिर जवाबी के कारण काका का राजनितिक हल्कों में अलग ही मुकाम था। यह वह दौर था, जब भाजपा के पास दलित नेतृत्व का अभाव था, उस वक्त काका सुंदरलाल ने दलित समाज में भारतीय जनता पार्टी की जड़ें मजबूत करने का काम किया। भाजपा की राजनीति में उनका कद बहुत बड़ा था। ठेठ देशी अंदाज में अपनी बात को रखने वाले काका सहजता से ही आमजन से जुड़ जाते थे। दशकों तक राजनीति पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने वाले काका सुंदरलाल पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा। बेदाग छवि के धनी काका सुंदरलाल को चुनाव लड़ना नहीं बल्कि जीतना आता था। अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव व भली-भांति परिचय, यही उनकी खासियत थी कि उनके समर्थकों ने सात बार विधायक बनाया। जमीन से जुड़े नेता होने के साथ ही झुंझुनूं की राजनीति में अजेय योद्धा के रूप में याद किए जायेंगे।‌ जब उनकी उम्र के साथ राजनीतिक जीवन ढलान पर था तब भाजपा ने उनके बेटे कैलाश मेघवाल को टिकट नहीं दी, जिसका उन्हें मलाल था। इसके बावजूद भी उनकी भाजपा के प्रति निष्ठा कम नहीं हुई, जिसका उदाहरण था कि प्रदेश स्तर का कोई भी नेता जिले के दौरे पर आता था तो उनके निवास स्थान पर उनकी कुशल-क्षेम पूछने जरूर जाता था। एक साधारण परिवार में जन्मे काका सुंदरलाल ने राजस्थान की राजनीति में जो मुकाम हासिल किया, वह आज के नेताओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
13 सितम्बर 2024 को काका सुंदरलाल का देहांत हो गया। उनके निधन से शेखावाटी की ही नहीं बल्कि राजस्थान की राजनीति में एक शून्यता आ गई, जिसको कभी पूरा नहीं किया जा सकता। काका सुंदरलाल की प्रथम पुण्यतिथि पर 13 सितम्बर को उनके पैतृक गांव कलवा में काका सुंदरलाल के स्मारक शिलान्यास समारोह का आयोजन होगा। काका सुंदरलाल की प्रथम पुण्यतिथि पर आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) परिवार की ओर से सादर श्रद्धांजलि।

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