राजस्थान में भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार का गठन होते ही जिले में नेताओं की बांछे खिल गई। अपने निजी हितों को साधने को जिले में उन अधिकारियों की डिजायर की गई, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे। उन अधिकारियों में अनीता खींचड़ व भरत कुमार हरितवाल जैसे कथित ईमानदार अधिकारियों को झुन्झुनू जिले में लगाया गया। हरितवाल को सूरजगढ़ भेजा गया लेकिन उस कथित ईमानदार अधिकारी को सरकार ने एपीओ कर दिया। इसी संबंध में झुंझुनूं नगर परिषद की आयुक्त के कार्यकाल में भी नगर परिषद के पार्षदों द्वारा लामबंद होने के बावजूद उसे राजनीति से प्रेरित बताया गया। तत्पश्चात अनिता खींचड़ को फतेहपुर नगर निकाय का सर्वेसर्वा बना दिया गया क्योंकि जिले के भाजपा नेताओं की विशेष कृपा दृष्टि के चलते झुन्झुनू जिले से बाहर नहीं जा रहे लेकिन अब आयुक्त अनिता खींचड़ के खिलाफ भाजपा के शहर मंडल अध्यक्ष अमित तिवाड़ी ने मोर्चा खोला है। तिवाडी ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को लिखे एक पत्र में आयुक्त की कथित कार्यशैली, जिसमें भ्रष्टाचार व अनियमितता को लेकर गंभीर आऱोप लगाए हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि प्रमाण पत्र जारी करते समय जातिगत समीकरण सर्वोपरि रखने के साथ ही ईडब्ल्यूएस लाभार्थियों के लिए अपने स्तर पर मापदंड निर्धारित करने के साथ ही आवेदकों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। वहीं अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत भी मनमाना व भेदभाव पूर्ण रवैया अपना रही है। नगर परिषद में भाजपा पार्षदों के कार्यों की अनदेखी करने के साथ ही अपने चहेतो को नगर परिषद के टेंडर दिलवाना शामिल हैं। तिवाडी ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि शहरो के संग प्रशासन बंद होने के बावजूद आयुक्त निजी हितों की पूर्ति में पट्टे जारी कर रही है, जिससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है। इसके बावजूद सरकार के उन आदेशो को दरकिनार कर रही है, जिसमें यह कहा गया है कि बिना बजट की उपलब्धता के किसी भी प्रकार की निविदा जारी न की जाए। विदित हो राज्य सरकार के आदेश के अनुसार जिन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के मामले लंबित हैं या भ्रष्टाचार में ट्रेप हो चुके हैं या उनके खिलाफ कोई विभागीय जांच लंबित हो तो उसे फील्ड पोस्टिंग न दी जाए। अब सवाल यह उठता है कि आखिर उस नेता का क्या निजी स्वार्थ था, जिसके कारण भ्रष्टाचार के आरोपों को झेल रही अधिकारी को झुन्झुनू जिले में डिजायर करके लगाया गया। इसको लेकर झुंझुनूं जिले के आवाम का एक सपाट प्रश्न है कि आखिर भ्रष्ट अधिकारियों पर जिले के नेता मेहरबान क्यों है ?
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