चिड़ावा (राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला): जो निर्विकार होते हुए भी अपनी माया से विराट विश्व का आकर धारण कर लेते है, स्वर्ग और अपवर्ग (मोक्ष) जिनके कृपा के प्रसाद बताये जाते है। योगीजन जिन्हे सदा अपने हृदय के भीतर देखते है, द्वादश ज्योतिर्लिंग उन्ही भगवान शिव के मूर्त स्वरूप है। पुराणों मे इनकी महिमा का बड़ा बखान है। शिव भक्त इन्हे शिव का ही स्वरूप समझते है। उक्त कथन कथा व्यास वाणी भूषण पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने सेहिकलां के शिवालय मंदिर में चल रही श्री शिव महापुराण कथा में छठे दिवस द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा का वर्णन करते हुए कहे। तिवाड़ी ने कथा के दौरान द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा का विस्तार से वर्णन किया। कथा मे भगवान राम के द्वारा रामेश्वरम स्थापना की सजीव झाकी सजाई गयी, जिसके दर्शन कर उपस्थित श्रद्धालु महिला पुरुष खूब आनंदित हुए। कथा के दौरान सुमधुर संगीत ने वातावरण को भक्ति रस में भर दिया। कथा के प्रारंभ में यजमान डॉ.जगदीश प्रसाद शर्मा ने आचार्य सियाराम शास्त्री की अगुवाई में सपत्नीक शिव महापुराण व व्यास पूजन किया। इस दौरान भागीरथ मल शर्मा, डॉ.प्रदीप सुरोलिया बबाई, श्याम सुंदर जांगिड़, पूर्व सरपंच बबाई संगीता शर्मा, हुकमीचंद शर्मा, अरविन्द शर्मा, संतोष सिंह शेखावत, मातुसिंह शेखावत, शीशराम गोस्वामी, विजेंद्र जांगीड, रतिराम महरिया, मनोज नायक, बिहारी लाल शर्मा, हजारी लाल शर्मा, शिव लाल शर्मा, अरुण शर्मा, अशोक शर्मा, संदीप शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुष मौजूद रहे।
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