अलवर (मनीष अरोड़ा): दुर्लभ सत्संग समिति के तत्वावधान में पिछले कई दिनों से चल रही भागवत कथा का समापन पूरे श्रद्धा और हर्षोंल्लास से संपन्न हुआ। शहर के कंपनी बाग के सामने स्थित रिवाज रिसोर्ट में श्री विजयानंद गिरी जी महाराज के सानिध्य में चल रही कथा में सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन के मध्य कैसे सामंजस्य बैठाया जा सके, इसके बारे में महाराज श्री ने बताया। महाराज विजयानन्द गिरि जी महाराज ने प्रवचन में बताया कि बड़े-बड़े हिंसक जीव संत चरणों में आकर बैठते हैं और अहिंसक बन जाते है क्योंकि उनको भी वहां शांति मिलती है। श्री विजय आनंद गिरि महाराज ने कहा कि भौतिकता की यह गुलामी हमेशा बनी रहेगी और यह भय हमेशा बना रहेगा। यह संसार आपको मुक्त नहीं होने देगा। जैसे की जाल में फंसी मछली आसानी से नहीं छूट पाती है, उसी प्रकार सांसारिक सुख में फंसा व्यक्ति जल्दी से सांसारिक भौतिक सुखों का त्याग नहीं कर पता है। मनुष्य संसार का सुख भोग करता है, तो उसे दुख भी भोगना ही पड़ेगा। संसार में जो भी मिला हैं, वह सब यहीं छूट जाएगा, सब से वियोग हो जाएगा। भगवान के सिवा कोई अपना नहीं है। भगवान से हम सभी का योग है और जिसका योग है, उसका वियोग नहीं हो सकता, भगवान हमेशा साथ रहते हैं, हम उनको भूल गए हैं। हम चाहे जहां चले जाएं, भगवान हमेशा हमारे साथ रहते हैं। भगवान हर क्षण हमारे साथ रहते हैं, संसार एक क्षण भी हमारे साथ नहीं रहता। परमात्मा और जीव एक डाल पर निवास करने वाले पक्षी हैं। हम सभी अत्यंत सौभाग्यशाली हैं, जिन्हें ऐसे महापुरुषों का साहित्य पढ़ने को मिल रहा है, जिन्होंने भगवान से साक्षात्कार किया है और जिन्होंने जिंदगी भर जीव का कल्याण की बात की है। ईश्वर को मात्र आद्र स्वर में पुकारने से भगवान ने 56 करोड़ का मायरा भर दिया। भगवान के सिवा अपना कोई नहीं है, इसके सिवा कुछ सच नहीं है। यहां बताना अति आवश्यक होगा कि कथा स्थल के बाहर गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा लगी धार्मिक पुस्तकों की स्टाल पर सभी धार्मिक पुस्तकें आधी रेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध रही, जिसमें श्रद्धालुओं ने श्रीमद्भागवत गीता सहित विभिन्न धार्मिक पुस्तकों की रिकार्ड खरीद की।
बड़े-बड़े हिंसक जीव भी संत चरणों में आकर अहिंसक बन जाते हैं: विजय आनंद गिरि जी महाराज
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July 31, 2025
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