जिस कथित विकास की रफ्तार से डबल इंजन सरकार भाग रही है तो इसको लेकर आम आदमी को भी सरकार के कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। विकास की रफ्तार कायम रखना केवल सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं, इसमें आमजन की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है। इसी भावना को लेकर भजन लाल शर्मा के नेतृत्व वाली भजन लाल शर्मा सरकार राजस्थान के आमजन को स्मार्ट बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए घरों में स्मार्ट मीटर लगवाने शुरू कर दिये है। यह स्मार्ट मीटर इस गति से भाग रहे हैं कि आम आदमी की कमर तोड़ दी है। इन स्मार्ट मीटरों का झुंझुनूं जिले में हर गांव ढाणी में विरोध की खबरें आ रही है लेकिन सरकार इसको कांग्रेस प्रायोजित मान रही है कि कांग्रेस आमजन को पाषाण युग में ले जाना चाहती है जबकि भाजपा ने स्मार्ट बनाने की ठान रखी है। जब आमजन में इस स्मार्ट बनाने की सरकार की कथित महत्वाकांक्षी योजना का विरोध हो रहा है तो इसके बारे में गंभीरता से सोचना होगा। आमजन में इनको लेकर चर्चा है है जिसको मिडिया ने भी प्रमुखता दी है कि यह मीटर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बुलेट ट्रेन की गति से भाग रहे हैं। अब इस बात को लेकर भी चर्चा करनी जरूरी हो जाती है कि आखिर पुराने बिजली के मीटरो में क्या रिंडिग नहीं आती थी, जो इन स्मार्ट मीटर लगाने की कवायद हो रही है। कहीं न कहीं यह कमीशन का खेल तो नहीं, जो बार बार मीटर बदलने की दिशा में काम हो रहा है। स्मार्ट मीटर लगाने से विभाग स्मार्ट नहीं होगा, बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी, जो इस गर्मी के मौसम में आमजन को बेहाल कर रखा है। जब बिना बिजली के यह स्मार्ट मीटर भागने की खबरें आ रही है तो क्या ऐसे ओवर स्मार्ट मीटर नहीं बने, जो बिजली जाने के बाद भी सप्लाई चालू रखे और जनता को बिजली जाने का आभास ही न होने दें। मिडिया रिपोर्ट्स को देखें तो आमजन में इन स्मार्ट मीटरों को लेकर काफी आक्रोश है। महंगाई के इस युग में यह स्मार्ट मीटर कोढ़ में खाज का काम कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो आमजन की शिकायत है कि यह स्मार्ट मीटर इतने स्मार्ट है कि ज्यादा रिडिंग निकालने के साथ ही रिचार्ज खत्म होने के साथ ही बिजली कटने व सब्सिडी खत्म होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा एक सामान्य कार्यकर्ता से सूबे के सरदार बने हैं अतः उनको एक दिहाड़ी मजदूर की तरफ भी देखना होगा, कहीं यह स्मार्ट मीटर उसके घर के चूल्हे की आग को खत्म न कर दे या उसको बिजली कनेक्शन कटवाकर लालटेन युग की तरफ जाना पड़े। एक तरफ केंद्र में मोदी सरकार का सपना है कि हर घर में बिजली पहुंचे, दूसरी तरफ राजस्थान की डबल इंजन सरकार निजीकरण की आड़ मे आवाम को अंधेरे में धकेलने का प्रयास कर रही है।
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