नई दिल्ली (श्रीराम इंदौरिया): भारतीय संस्कृति, संस्कृत साधना और बहुविध ज्ञान परम्परा को वैश्विक अकादमिक मंच पर नये स्वर और नई दिशा प्रदान करने का महत्त्वपूर्ण दायित्व जम्बूद्वीप – जर्नल ऑफ इंडिक स्टडीज पूरी निष्ठा, प्रामाणिकता और विद्वतापरक दृष्टि से निभा रही है। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के मानविकी विद्यापीठ के अन्तर्गत संस्कृत अनुशासन द्वारा सन् 2022 से प्रकाशित यह शोध पत्रिका अल्पकाल में ही नवप्रकाशित शोध पत्रिकाओं में सर्वाधिक चर्चित, प्रमाणिक और शोधार्थियों के मध्य अत्यन्त लोकप्रिय मंच के रूप में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवा चुकी है। जम्बूद्वीप एक अर्धवार्षिक, समालोचित ई-जर्नल है, जो संस्कृत, पाली, प्राकृत, भारतीय ज्ञान परम्परा तथा भारतीय संस्कृति से सम्बद्ध ग्रन्थों, शास्त्रों और समकालीन विमर्शों का अन्तरविषयक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इस शोध पत्रिका का उद्देश्य प्राचीन भारतीय शास्त्र-संपदा को समकालीन बौद्धिक विमर्शों व नवाचार के साथ जोड़ते हुए भारत विद्या को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर नये आलोक में प्रतिष्ठित करना है। हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेज़ी में मौलिक शोध-पत्र आमंत्रित किए जाते हैं, जिन्हें चयन से पूर्व सुस्पष्ट एवं नियत नियमों के अनुरूप समकक्ष-परीक्षण प्रक्रिया से गुजारा जाता है। प्रत्येक शोध लेख 4000 से 6000 शब्दों के भीतर निर्धारित प्रारूप में ही स्वीकार किया जाता है, जिससे सम्पूर्ण अकादमिक गरिमा और प्रामाणिकता सुनिश्चित बनी रहती है।
*सम्पादक मण्डल की संरचना इस प्रकार है*
प्रधान सम्पादिका प्रो.कौशल पंवार के नेतृत्व में प्रो.देवेश कुमार मिश्र, प्रो.पुष्पा गुप्ता, डॉ.अवधेश कुमार, डॉ.सोनिया, डॉ.अशीष कुमार और डॉ.रीता गुप्ता जैसे समर्पित विद्वान सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त डॉ.प्रमोद कुमार सिंह (मैत्रेयी महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय) तथा डॉ.अवधेश प्रताप सिंह (कला संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय) बाह्य सदस्य के रूप में अपने अनुभव से पत्रिका को समृद्ध कर रहे हैं। तकनीकी सलाहकार डॉ.सुधीर कुमार मिश्र (सी-डैक, पुणे) शोध पत्रिका के तकनीकी पक्ष को सुदृढ़ और अद्यतन बनाए रखते हैं। यूजीसी की नवीन केयर सूची एवं ओपन-एक्सेस मानकों के अनुरूप जम्बूद्वीप सम्पूर्ण पारदर्शिता, शून्य साहित्यिक चोरी नीति और सुस्पष्ट सम्पादकीय आचार संहिता का पालन करती है। प्रत्येक लेखक से मौलिकता और कॉपीराइट शुद्धता का प्रमाण-पत्र लेना अनिवार्य है, जिससे शोध पत्रिका की विद्वतापरक प्रतिष्ठा अक्षुण्ण बनी रहती है। यही कारण है कि यह शोध पत्रिका अल्पकाल में ही नवप्रकाशित शोध पत्रिकाओं में सर्वाधिक चर्चित, प्रमाणिक और नवोदित शोधार्थियों में अत्यन्त लोकप्रिय मंच बन गई है। प्रो.कौशल पंवार के अनुसार, “जम्बूद्वीप शोध पत्रिका भारतीय ज्ञान परम्परा के अद्यतन विमर्शों को शोध और नवाचार के सुसंगठित मंच पर लाकर प्रस्तुत कर रही है। इसमें प्राचीन शास्त्रों से लेकर समकालीन विषयों तक का अनुशीलन एकीकृत दृष्टि से रखा जाता है। सम्पादकीय मण्डल का यह संकल्प है कि हम भारत विद्या को वैश्विक विमर्श में नई ऊँचाइयों तक पहुँचाते हुए शोध की गुणवत्ता, मौलिकता और नव्यता को सतत सुदृढ़ बनाए रखें। यह शोध पत्रिका न केवल वरिष्ठ विद्वानों के चिन्तन को मंच देती है, बल्कि नवोदित शोधार्थियों को भी दिशा और अवसर प्रदान करती है।”
निःसंदेह, जम्बूद्वीप – जर्नल ऑफ इंडिक स्टडीज अपनी प्रामाणिक दृष्टि, सुसंगठित सम्पादकीय प्रक्रिया और सुदृढ़ नैतिक मानकों के साथ संस्कृत तथा भारतीय ज्ञान परम्परा के क्षेत्र में शोध को समृद्ध करने वाला एक महत्त्वपूर्ण मंच सिद्ध हो रहा है, जो शोधार्थियों, अध्येताओं और नीति-निर्माताओं के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बना रहेगा।