षड्यंत्र के तहत सरकारी शिक्षा व्यवस्था को ठप करने का परिणाम है झालावाड़ के सरकारी स्कूल का हादसा: संयुक्त अभिभावक संघ

AYUSH ANTIMA
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जयपुर/झालावाड़/कोटा (श्रीराम इंदौरिया): संयुक्त अभिभावक संघ ने झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव के सरकारी स्कूल की छत गिरने से हुए बड़े हादसे की कड़ी निंदा करते हुए हादसे के शिकार हुए 5 से अधिक बच्चों की मृत्यु और 30 से अधिक बच्चे अधिक गंभीररूप हुए घायल होने का जिम्मेदार राज्य सरकार, शिक्षा मंत्रालय और शिक्षा विभाग की नाकामियों और लापरवाहियों को ठहराया है, साथ ही संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि यह घटना षड्यंत्र के तहत प्रदेश में ठप की जा रही सरकारी शिक्षा व्यवस्था को भी बताया है, संघ ने कहा कि जनवरी माह में प्रदेश के 450 से अधिक सरकारी हिंदी माध्यमिक विद्यालयों को मर्ज किया था, वह सभी विद्यालय स्वस्थ से जिन जर्जर स्कूलों को मर्ज किया जाना चाहिए था उन स्कूलों में लगातार हादसे हो रहे, पूर्व जयपुर के सांगानेर में भी सरकारी स्कूल से प्लास्टर गिरा था, ठीक ऐसे ही मामले भीलवाड़ा, चितौड़गढ़ जिलों में देखने को मिले थे किंतु ना राज्य सरकार ने कोई संज्ञान लिया, ना शिक्षा मंत्री ने और ना ही शिक्षा विभाग ने कोई कार्यवाही की। प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि आज प्रदेश में सरकारी शिक्षा व्यवस्था खुद न्याय मांगने पर मजबूर है, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चे बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है, कई बच्चे हादसों का शिकार हो रहे है तो कई बच्चे शिक्षकों के शोषण का शिकार हो रहे है, आज प्रदेश के बच्चों और अभिभावकों में सरकारी स्कूलों और व्यवस्थाओं के नाम पर केवल डर बैठाया जा रहा है सीधे तौर पर डराया जा रहा है। जिससे अभिभावक सरकारी स्कूलों की ओर बिल्कुल भी जाने का प्रयास नहीं कर सके, वहीं दूसरी तरफ सरकारी शिक्षा व्यवस्थाओं की योजनाओं का लाभ भी अभिभावकों और बच्चों को नहीं दिया जा रहा है, जो साफ और स्पष्ट करता है प्रदेश में सरकारी शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को ना केवल झालावाड़ के हादसे की जिम्मेदारी और जवाबदेही लेनी चाहिए बल्कि प्रदेश में आज जिस प्रकार सरकारी शिक्षा व्यवस्था तक की खुलेआम हत्या की जा रही है, उसकी भी जिम्मेदारी और जवाबदेही लेकर तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। संयुक्त अभिभावक संघ शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग करता है। अगर इस्तीफा नहीं देते है तो मुख्यमंत्री तत्काल प्रभाव से उन्हें पद मुक्त करे, अन्यथा अभिभावकों को एकजुट होकर सरकारी शिक्षा व्यवस्थाओं को बचाने के लिए सड़कों पर आना पड़ेगा।

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