आरटीयू का नवनिर्मित मुख्य द्वार विश्वविद्यालय के गौरव, संस्कृति और प्रगति का प्रतीक: हरिभाऊ बागडे, राज्यपाल

AYUSH ANTIMA
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कोटा (श्रीराम इंदौरिया): राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ किसनराव बागडे ने राजस्थान तकनीकी विश्वविधालय के नवनिर्मित मुख्य द्वार का किया विधिवत लोकार्पण किया। लोकार्पण के बाद राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण भी किया। आरटीयू के सह जनसम्पर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि लंबे समय से प्रतीक्षित इस प्रवेश द्वार का निर्माण आवश्यकताओं और स्थानीय राजस्थानी वास्तुशैली के अनुरूप किया गया है। यह प्रवेश द्वार न केवल आगंतुकों को राजस्थान की समृद्ध वास्तु शैली और संस्कृति का अनुभव प्रदान करेगा बल्कि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय विद्यार्थियों, आगंतुकों गौरवान्वित करने के साथ बेहतरीन अनुभव भी प्रदान करेगा। लोकार्पण समारोह में जिला कलेक्टर डॉ.रविंद्र गोस्वामी, जिला पुलिस अधीक्षक डॉ.अमृता दुहान, कुलसचिव मुरलीधर प्रतिहार, वित्त नियंत्रक बीएल मीणा, कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीपी सारस्वत, लोकार्पण समन्वयक प्रोफेसर दिनेश बिरला एवं प्रोफेसर विवेक पांडे सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के डीन और प्रशासनिक अधिकारिगण उपस्थित थे। अंत में कुलसचिव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।
माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने लोकार्पण उद्बोधन में कहा कि आरटीयू का यह नवनिर्मित द्वार विश्वविद्यालय के गौरव, संस्कृति और प्रगति का प्रतीक है। यह प्रवेश द्वार उस मार्ग की शुरुआत है, जो ज्ञान, अनुसंधान और नवाचार के विस्तृत क्षितिज की ओर ले जाता है। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय ने पिछले वर्षों में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन, निर्माण टीम, इंजीनियरों, श्रमिकों को मुख्य द्वार को इतनी सुंदरता और दक्षता से साथ पूर्ण करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। माननीय कुलगुरु प्रो.एसके सिंह ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि नवनिर्मित मुख्य द्वार यह लोकार्पण विश्वविद्यालय द्वारा अपने शैक्षणिक समुदाय के लिए बुनियादी ढांचे और सुविधा में सुधार के लिए चल रहे प्रयासों में एक मील का पत्थर है। हमारे लिए यह अवसर अत्यंत गर्व और प्रसन्नता का है, जब हम इस प्रतिष्ठित संस्थान के मुख्य द्वार का लोकार्पण कर रहे हैं। यह द्वार न केवल एक भौतिक संरचना है, बल्कि यह हमारे संस्थान की गरिमा, परंपरा और आधुनिकता का प्रतीक भी है। यह द्वार आने वाले समय में हजारों छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और आगंतुकों का स्वागत करेगा और उन्हें एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करेगा।
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