ऑनलाइन सट्टा युवा पीढ़ी को कर रहा बर्बाद

AYUSH ANTIMA
By -
0


इस आर्थिक युग में पैसों की भूख ने सब मान मर्यादा व संस्कारों को ताक पर रख दिया है। किसी भी समाज की युवा पीढ़ी उसकी रीढ़ होती है। जब युवा पीढ़ी को ग़लत लत लग जाए तो वह समाज कभी भी प्रगति नहीं कर सकता। विलासिता पूर्ण जिंदगी जीने की लालसा ने युवा पीढ़ी की आंखों पर एक पट्टी बांध दी है, जिसे हमारी सांस्कृतिक विरासत का कोई भान नहीं रह गया है। समाज मे जो अपराधिक प्रवृत्तियों का जो तांडव देखने को मिल रहा है, उसका मूल कारण यही है कि आर्थिक युग की अंधी दौड़ में शामिल होकर उन कामों में लिप्त हो गये, जिनकी हमारे सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं है। ऑनलाईन सट्टा व नशे की लत ने युवा पीढ़ी को विकलांग बना दिया है। गृह जिले झुनझुनू की बात करें तो यह कैंसर रूपी बीमारी युवा वर्ग को हमारे मानवीय मूल्यों से भी दूर कर रही है। जिले मे जो अपराधिक ग्राफ में वृध्दि हो रही है, इसका मूल कारण यह सट्टे व नशा है। सट्टे में लाखों करोड़ों रूपए गंवाकर कुछ तो अपनी जीवन लीला ही खत्म कर लेते हैं। ऑनलाईन सट्टे के साथ ही क्रिकेट का सट्टा भी परवान पर है। इसको रोकने को लेकर पुलिस प्रशासन को दोष नहीं दिया जा सकता। कहीं न कहीं अभिभावक भी इसके लिए जिम्मेदार है। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि बच्चा जब ट्रेक से उतर जाता है तो निश्चित रूप से अभिभावकों को पता चल जाता है लेकिन वह अपनी आंखें बंद किये रहते हैं। उनकी आंखें तब खुलती हैं जब घर का चिराग बुझ जाता है या वह सलाखों के पीछे पहुंच जाता है। सट्टे को लेकर पुलिस प्रशासन की छापेमारी की खबरें रोजाना देखने को मिलती है लेकिन ऑनलाईन सट्टे के लिए केवल उस बच्चे के मोबाइल या उसको ही पता रहता है। इस बीमारी के चलते हर समाज में लड़कों की शादियां भी नहीं हो रही है तत्पश्चात घर वाले बिहार का रूख करते हैं। इस बीमारी से उस बच्चे की आर्थिक आवश्यकता में वृध्दि हो जाती है और जब वह इसमें पैसे गंवा देता है तो नशे की तरफ बढ़ने के साथ ही अपराध की दुनिया में कदम रख लेता है। ऐसा नहीं यह बीमारी कालेज में पढ़ने वाले बच्चों में भी घर कर गई है। इसके साथ ही जिले के होटलों मे चल रहे अवैध धंधे जिनको हमारा सभ्य समाज मान्यता नहीं देता, उस धंधे को फलीभूत करने मे इसका भी हाथ है। इन होटलों पर भी पुलिस की छापामारी की खबरे सुर्खियों में है। ऑनलाईन सट्टे को लेकर सरकार को कड़ा रूख अपनाने की जरूरत है कि ऐसे ऐप पर तुरंत भारत में बैन कर दिया जाए। इसके साथ ही सामाजिक संगठनो का भी दायित्व बनता है कि इसको लेकर समाज में जागरूकता पैदा करने के साथ ही इन भटकी युवा पीढ़ी को समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किए जाए। समय समय पर इसके दुष्प्रभाव व समाज में फैली विसंगति को लेकर इन संगठनों को सेमिनार करने की जरूरत है और इसमें ज्यादा से ज्यादा युवा पीढ़ी की भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास होने चाहिए।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!