राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित आरएएस 2024 प्रतियोगी परीक्षा आखिरकार 17 व 18 जून को ही होगी। परीक्षा को दोनों उप मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व 40 विधायकों ने स्थगित करने को लेकर अपनी सहमति दी थी। इन सभी का मानना था कि 2024 की मुख्य परीक्षा को आरएएस 2023 के इंटरव्यू के बाद लिया जाना चाहिए। विधायकों व प्रदेश अध्यक्ष मदन राठोड़ ने सहमति प्रदान की थी कि परीक्षाएं स्थगित होगी लेकिन मंत्रियों, विधायको व संगठन के सर्वेसर्वा की अपील को दरकिनार कर परीक्षाएं स्थगित नहीं की गई। विदित हो इन परीक्षाओं के संचालन को लेकर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने सार्वजनिक तौर पर प्रशासनिक अधिकारियों पर सवाल खड़े किये थे। इसको लेकर भी आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने अपने लेख में सरकार व संगठन में तालमेल को लेकर लिखा था। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता के सोशल मिडिया पर की गई पोस्ट में स्पष्ट उन्होंने डबल इंजन सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया था। उन्होंने अपनी पोस्ट में सीधा आरोप लगाया था कि प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से यह स्थगित नहीं होगी। इसके साथ ही उन्होंने डबल इंजन सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया था कि सरकार में बैठे नेता संगठन की सुनवाई नहीं करते। अब सवाल उठता है जब दोनों उपमुख्यमंत्रीयो, प्रदेश अध्यक्ष व विधायकों को उनकी हैसियत का पता था तो इन परीक्षाओं के स्थगन को लेकर सहमति क्यों जताई ? काबीना मंत्री डॉ.किरोड़ी लाल मीणा भी इसको लेकर मुखर थे। जब नेताओं के आश्वासन के बावजूद परीक्षाएं स्थगित नहीं हुई तो प्रदेश के युवाओं का इन नेताओं पर से विश्वास उठना लाजिमी है।
अब जो झुंझुनूं के स्थानीय नेता, जो किसी संवैधानिक पद पर नहीं है और रोज दावा करते हैं कि उनके प्रयासों से सौगातों की झड़ी लग गई। जबकि उपरोक्त प्रकरण को लेकर स्पष्ट जाहिर है कि सरकार पर नौकरशाही हावी है।