विनम्र श्रद्धांजलि

AYUSH ANTIMA
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12 जून के इस दर्दनाक विमान ‌
हादसे में ना जाने कितने घरों 
पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, 
इक पल का पता नहीं।
क्षणभंगुर है ज़िन्दगी हमारी,
मन है बहुत व्यथित, हृदय मौन है, आंखें नम हैं, कितनी उम्मीदों से उड़ी थी उड़ान, अचानक थम सा गया जैसे सारा जहान,
ओढ़ी है आसमां ने कफन की चादर, नीचे है दुखों का गहरा साया, मांओं की गोद हो गई सूनी, जाने कहां छीन गई बच्चों की हंसी, जो कल था वो आज नहीं, बस सपना बन रह गया, 
यादें हुई वीरानी घर की 
देहरी हुई सूनी। अब ना कोई दस्तक देगा, बस चेहरे बने कहानी, हम मौन हैं मन रहा तड़प। देश सारा रो पड़ा वक्त का है फेर, पानी के बुलबुले सी है जिंदगी, जाने कब फूट जाए, 
बड़ी नाजुक है तार सांसो की, जाने कब टूट जाए। 
ईश्वर से प्रार्थना है—
जो इस हादसे में दिवंगत हुए, उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। जो इस समय पीड़ा में हैं, उन्हें स्वस्थ और धैर्य दें। पूरी मानवता और देश की तरफ से सभी को विनम्र श्रद्धांजलि।

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