निवाई (लालचंद सैनी): झूलेलाल धर्मशाला में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा की रविवार को विभिन्न धार्मिक आयोजनों के साथ पूर्णाहुति हुई। रविवार को कथा के दौरान कथावाचक पुष्कर दास महाराज ने कहा कि प्रभु की कृपा होती है तभी कोई वक्ता व्यासपीठ से बोल पाता है। कृष्ण की वाणी, संतों की वाणी वायुमंडल में घूमती है तभी व्यासपीठ से शब्द निकलते हैं। व्यासपीठ सभी की मनोकामना पूरी करती है, क्योंकि वह व्यास जी की गद्दी है। उन्होंने कहा कि मन में श्रद्धा हो तो ग्रंथों से हमें शांति मिलती हैं। सत्संग में मन की धुलाई होती है। हर व्यक्ति मन से बंधा हुआ है। हम कोई भी सत्कर्म, पूजा, पाठ करते हैं परन्तु जब तक सत्संग में नहीं बैठेंगे तब तक सत्कर्म की विधि का ज्ञान नहीं हो सकता। भगवान कृष्ण ने जो कहा और राम ने जो किया, वो हमें पालन करना चाहिए। महाराज ने कहा जिसकी आत्मा हर दम हरि चित्त में लगी रहे वही गोपी है। सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि कृष्ण और सुदामा में प्रेम था तभी जगत का मालिक द्वारकाधीश मिलने के लिए दौड़े चले आये। अंतिम दिन पूरा परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। कथा पूर्णाहुति के अवसर पर मुख्य यजमान हेमनदास फुलवानी ने परिवार के साथ व्यासपीठ पर पुष्कर दास महाराज का शाल ओढ़ाकर सम्मान किया। महाराज के साथ की बोर्ड ऑक्टोपैड पर सेवा दे रहे विट्ठल वैष्णव, ढोलक पर मुरारीलाल, गायन पर जमना लाल का फुलवानी परिवार ने स्वागत किया। रामचंद्र ने सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। पूर्णाहुति के दिन महाआरती की गई, जिसमें श्रद्धालु उमड़ पड़े। इस दौरान उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान द्वारकाधीश के जयकारे लगाए, जिससे पूरा प्रांगण जयकारों से गूंज उठा। पूर्णाहुति के अवसर पर पंगत प्रसादी का आयोजन किया गया।
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