वर्ष 2014 में भारत एक ऐसे चौराहे पर खड़ा था, जहाँ जनमानस भ्रष्टाचार, लाचारी और नेतृत्वहीनता से आहत था। निरंतर सामने आते घोटाले—कोयला घोटाला, 2G, और कॉमनवेल्थ ने जनता के भरोसे की नींव हिला दी थी। निर्णयहीनता, अपारदर्शिता और शिथिल विदेश नीति ने भारत को वैश्विक मंच पर एक मौन दर्शक बना दिया था। इन्हीं परिस्थितियों में, जब देश को एक सक्षम नेतृत्व की सर्वाधिक आवश्यकता थी, नरेंद्र मोदी जी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में सामने आए। उनका व्यक्तित्व, जीवन-संघर्ष और राष्ट्र के प्रति समर्पण ने देश को आशा दी। वह आशा जो अब एक सशक्त और स्वाभिमानी भारत के रूप में फलित हो रही है। आज भारत मात्र उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर निर्णायक शक्ति बन चुका है। बीते 11 वर्षों में भारत ने इतिहास रचा है—अब हम विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। यह उपलब्धि केवल आँकड़ों की नहीं, बल्कि उस ईमानदार और पारदर्शी शासन की है जिसने 'सबका साथ, सबका विकास' को प्रशासन की आत्मा बना दिया। प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सोच में ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ की स्पष्ट रणनीति रही है। जीएसटी, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, जनधन, आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों ने भारत को केवल आर्थिक ही नहीं, तकनीकी, औद्योगिक और नवाचार के क्षेत्र में भी अग्रणी बना दिया है। आज भारत की विदेश नीति संकोच या संतुलन नहीं, बल्कि साहस, स्पष्टता और संप्रभुता पर आधारित है। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में देखा गया, जब पहलगाम में हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमले में 26 भारतीय नागरिकों की क्रूर हत्या कर दी गई। यह हमला सिर्फ निर्दोषों पर नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर हमला था।
भारत ने अपने नए राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के अनुरूप त्वरित, निर्णायक और मर्मस्पर्शी प्रतिक्रिया दी। 7 मई 2025 को, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र में स्थित आतंकवादी ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाते हुए ध्वस्त कर दिया। इस साहसिक कार्रवाई को नाम दिया गया—"ऑपरेशन सिंदूर"। यह ऑपरेशन सिर्फ जवाब नहीं, बल्कि यह घोषणा थी कि अब नया भारत आतंकवाद को उसकी भाषा में ही उत्तर देगा।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य रणनीति, राजनयिक संप्रभुता और जन-जन के विश्वास का वह प्रतीक बन गया है, जो बताता है कि भारत अब चुप नहीं बैठता, अब भारत निर्णायक रूप से खड़ा होता है। इसी तरह, प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व आंतरिक सामाजिक न्याय की दिशा में भी ऐतिहासिक रहा है। दशकों से लंबित महिला आरक्षण का विषय, जिसे बार-बार टाला जाता रहा, उसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से स्थायी समाधान मिला। संसद और विधानसभाओं में 33% आरक्षण सुनिश्चित कर प्रधानमंत्री मोदी ने नारी शक्ति को सिर्फ सम्मान ही नहीं, निर्णय की भूमिका भी दी। यह महज़ अधिनियम नहीं, यह सदियों से दबे स्वरों को सत्ता के गलियारों तक पहुँचाने का संकल्प है। यह संकल्प अब उज्ज्वला योजना से लेकर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना से लेकर मातृत्व वंदना योजना तक—हर पहल में झलकता है। राजस्थान, इस राष्ट्रीय पुनरुत्थान यात्रा में एक प्रमुख साझेदार रहा है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश में डबल इंजन सरकार ने बुनियादी ढांचे, जल संरक्षण, सिंचाई, महिला सुरक्षा, युवा सशक्तिकरण और डिजिटल क्रांति के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। यमुना जल समझौता और ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट संशोधित-PKC (ERCP) जैसे प्रयासों ने राज्य की जल समस्या को समाधान की ओर मोड़ा है। जल जीवन मिशन के माध्यम से घर-घर में नल से जल पहुँच रहा है जिससे माताओं और बहनों को राहत मिली है और किसान, जो कभी वर्षा पर निर्भर रहते थे, अब सिंचाई के स्थायी समाधान से सशक्त हो रहे हैं। युवाओं के लिए स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, PM कौशल विकास योजना जैसी योजनाएँ केवल रोजगार नहीं, रोजगारदाता बनने का मंच प्रदान कर रही हैं।
भारत का सबसे बड़ा बल उसकी जनता है और नरेंद्र मोदी ने यही सिद्ध किया है कि जब जनता और नेतृत्व एक दिशा में संकल्पबद्ध होते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं रहता। आज भारत सिर्फ एक राष्ट्र नहीं, एक आंदोलन बन चुका है—विश्वगुरु बनने की ओर बढ़ता हुआ एक नया भारत, जो परंपरा और प्रगति का संतुलन साधते हुए भविष्य की ओर आत्मविश्वास से अग्रसर है। संकल्प से सिद्धि की यह यात्रा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में न केवल भारत के लिए एक गौरवगाथा है, बल्कि राजस्थान के लिए भी एक प्रेरणा है। हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि 2047 तक भारत सिर्फ विकसित राष्ट्र न बने, बल्कि मानवता का नेतृत्व करने वाला वैचारिक राष्ट्र भी बने।
जय भारत! जय राजस्थान!