जब से राजस्थान में डबल इंजन सरकार का गठन हुआ है। एक संवैधानिक पद का सृजन हुआ है वह पद हैं भाजपा प्रत्याशी। जब भी कोई जनहित का काम या सरकारी आदेश आता है तो उसका श्रेय लेने की होड़ लग जाती है कि उन्हीं की अनुशंसा पर यह कार्य संपादित हुआ है। अभी हाल ही में कुछ गांवों को झुंझुनूं नगर परिषद मे जोड़ने के फैसले को निरस्त किया गया तो भाजपा के नेता बबलू चौधरी व झुंझुनूं विधायक राजेन्द्र भांबू के बयानों की सोशल मिडिया पर बाढ़ आ गई व मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा व मंत्री झाबर सिंह खर्रा का आभार व्यक्त किया कि उन्हीं की अनुशंसा पर इन गांवों को नगर परिषद झुंझुनूं में नहीं मिलाने का फैसला हुआ है।
उपचुनाव के समय भी अंदेशा जताया गया था कि भाजपा नेताओं के मन की जो खटास है वह कम नहीं हुई है। वह खटास आज धरातल पर दिखाई दी। बबलू चौधरी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में सीधा आरोप लगाया कि वर्तमान विधायक की वजह से उन गांवों को नगर परिषद में जोड़ा गया था लेकिन इन गावों को जोड़ने से झुंझुनू की जनता व उन गांवों के लोगो को जो नुकसान होने वाला था, उसको लेकर मुख्यमंत्री व भाजपा अध्यक्ष को अवगत कराया, जिससे वह फैसला निरस्त हुआ। भाजपा विधायक पुत्र मोह में फंसे हुए हैं। नगर परिषद में परिवारवाद का बोलबाला है। अपने निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर जिन गांवों को जोड़ा गया, वहां जमीनें खरीदी गई है। विधायक मेरे खिलाफ अपने पुत्र के जरिये घटिया राजनीति कर रहे हैं। बबलू चौधरी ने तो यहां तक कहा कि मेरी वजह से ही वह विधायक हैं न कि विधायक की वजह से बबलू चौधरी। कांग्रेस के परिवारवाद के खिलाफ भाजपा ने चुनाव लडा और आज वही परिवारवाद को विधायक बढ़ावा दे रहे हैं। अब बबलू चौधरी के उक्त बयान को देखें तो जो स्थानांतरण की राजनीति हो रही है। भाजपा में बिखराव को लेकर जो अंदेशा जताया जा रहा था, उसका आज जीवंत चित्रण बबलू चौधरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखने को मिला। उपचुनाव में भाजपा की जीत के अहम किरदार राजेन्द्र गुढ़ा रहे हैं। झुंझुनूं मे वर्चस्व को लेकर मची कलह अब सड़कों पर आ गई है। जिस तरह से बबलू चौधरी ने विधायक के खिलाफ मोर्चा खोला है, ऐसे एपीसोड अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगे क्योंकि स्थानांतरण को लेकर जो नेता घटिया राजनीति कर रहे हैं, कभी न कभी उनका भी तो भंडाफोड़ होने वाला है।