विधि कड़वासरा का लक्ष्य डॉक्टर बन पीड़ित मानव की सेवा करना

AYUSH ANTIMA
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झुंझुनू (राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला): आईसीएसई बोर्ड परीक्षा 2024-25 के घोषित परीक्षा परिणाम में जिला मुख्यालय के निकतवर्ती देरवाला निवासी विधि ने 96 प्रतिशत अंक अर्जित कर स्कूल में सातवां स्थान प्राप्त किया है। 
आईसीएसई बोर्ड परीक्षा 2024–25 के बुधवार को घोषित परिणाम में सेंट मेरी सीनियर सेकंडरी स्कूल सीकर में पढ़ने वाली देरवाला के गिरधारी लाल कड़वासरा की पौत्री एवं राकेश कड़वासरा की ज्येष्ठ पुत्री विधि कड़वासरा ने 96 प्रतिशत अंक अर्जित कर स्कूल में सातवां स्थान प्राप्त किया। विधि की उपलब्धि पर घर परिवार में खुशियां मनाई गई, वहीं सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफार्म पर बधाइयों का तांता लगा रहा। विधि अब आगे की पढ़ाई एकाग्रता से सम्पूर्ण कर डॉक्टर बनकर पीड़ित मानव की सेवा करने का लक्ष्य रखती है। विधि के पिता आरएसी पुलिस मुख्यालय जयपुर में हैड कांस्टेबल है, वहीं माता सरोज ग्रहणी है। विधि के चाचा सीएमएचओ ऑफिस झुंझुनू में डीपीसी है।

*स्कूल में जश्न, गांव में खुशी की लहर*

जिला मुख्यालय के निकटवर्ती गांव देरवाला में चहुंओर विधि कड़वासरा की सफलता के चर्चे है, वहीं सीकर के सेंट मेरी स्कूल में छात्रा की उपलब्धि पर जश्न मनाया जा रहा है। सेंट मेरी सीनियर सेकंडरी स्कूल सीकर में पढ़ने वाली विधि कड़वासरा ने स्कूल में सातवां स्थान प्राप्त कर स्कूल का नाम रोशन किया है। छात्रा स्कूल समय के अतिरिक्त घर पर प्रतिदिन 6 से 8 घंटे पढ़ाई करती। गांववासियों द्वारा पूरे परिवार को बधाइयां दी जा रही है, वहीं विधि के उज्ज्वल भविष्य की कामना की जा रही है।

*परिवार का सहयोग बना सफलता*

घर में विधि को दादाजी गिरधारी लाल, दादीजी परमेश्वरी देवी से संस्कारों के साथ शिक्षा का पाठ समझाया जाता। पिता राकेश पुलिस सेवा में कार्यरत रहते भी बच्ची की पढ़ाई पर विशेष ध्यान रखते, वहीं मां  सरोज ने घर की पूरी जिम्मेदारी संभालने के साथ बेटी को भी कभी बेटे से कह नहीं समझा। चाचा डॉ.महेश एवं चाची सुनीता अक्सर विधि को सब काम छोड़ पढ़ाई के लिए प्रेरित करते। पूरे परिवार का सहयोग आज विधि के लिए सफलता साबित हुआ। विधि ने उच्च मार्क्स बिना कोई कोचिंग सुविधा लिए सेल्फ स्टडी से हासिल किए हैं। विधि का छोटा भाई नक्ष भी विधि से प्रेरित है।

*पढ़ाई में मोबाइल जरूरत है, जरूरी नहीं*

दसवीं की परीक्षा को कठिन माना जाता है, वहीं सफलता की पहली सीढ़ी। नियमित अध्ययन और मोबाइल से दूरी को विधि ने बताया अपनी सफलता का राज।छात्रा का कहना है कि मोबाइल आज की पढ़ाई में जरूरत है जरूरी नहीं, मोबाइल का उपयोग सिर्फ अध्ययन से सम्बंधित ही किया अन्य नहीं।विधि ने अपनी सफलता का श्रेय परिजनों के सहयोग तथा गुरुजनों की अध्यापन शैली को दिया।

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